महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में गरीब महिलाओं के लिए रुपये की कीमत के 10 सैनिटरी नैपकिन (Sanitary Napkins) उपलब्ध कराने का फैसला लिया है। महाराष्ट्र सरकार गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं के साथ-साथ स्वयं सहायता समूहों से आने वाली महिलाओं के लिए 1 रुपये की कीमत के 10 सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराएगी। यह योजना 15 अगस्त से शुरू होगी, जिससे 60 लाख महिलाओं को लाभ होने का अनुमान है। इस पहल पर राज्य को सालाना 200 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
राज्य सरकार ने मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता की कमी को बीमारी और मृत्यु के कारण के रूप में उजागर किया है। दूसरी ओर, राज्य में 66 प्रतिशत महिलाओं ने सैनिटरी नैपकिन का उपयोग किया है। हालांकी जब इसे राष्ट्रीय स्तर से तुलना की जाए तो यह संख्या 12 प्रतिशत है।
ग्रामीण महाराष्ट्र में केवल 17 प्रतिशत महिला ही सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती है। महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने 19 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को 6 रुपये में छह सैनिटरी नैपकिन के साथ किट देने की पहल की है जो गरीबी रेखा से नीचे हैं। योजना की सीमितता के कारण यह उन सभी महिलाओं तक नहीं पहुंच पाती है जिन्हें सैनिटरी नैपकिन की आवश्यकता होती है।
डॉक्टरों का कहना है कि माताओं को तनाव, चिंता, मोटापा, अवसाद, मूत्र पथ के संक्रमण (UTI), अनिद्रा, एसिड रिफ्लक्स, कंधे में दर्द, पीठ के निचले हिस्से में दर्द और मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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