मोदी सरकार ने सालाना हज यात्रा पर मिलने वाली सब्सिडी को अब पूरी तरह खत्म कर दिया है। सरकार के इस निर्णय से अब मुस्लिम जायरीन बिना सब्सिडी के ही हज पर जाएंगे। केंद्रीय मंत्री और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हर साल सरकार की तरफ से हज सब्सिडी के रूप में 700 करोड़ रुपये दिए जाते है। सरकार ने इसे अल्पसंख्यको के लिए एक अच्छा फैसला बताया है। सरकार के इस फैसले से 1.75 लाख हज यात्री प्रभावित होंगे। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में केंद्र सरकार को 2022 तक हज सब्सिडी खत्म करने का आदेश दिया था। खर्च बढ़ने के बाद सरकार अब हवाई मार्ग के साथ यात्रियों को समुद्र मार्ग का भी विकल्प देगी।
कोर्ट के आदेश के बाद से ही सरकार इस योजना की समाप्ति की तरफ धीरे धीरे कदम बढ़ा रही थी, जिसकी घोषणा मंगलवार को कर दी गयी। मुख्तार अब्बास नकवी ने स्पष्ट किया कि सब्सिडी का फायदा एजेंट्स उठा रहे थे इसलिए हज सब्सिडी बंद कर दी गई। उन्होंने कहा कि गरीबों के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी। नकवी ने यह भी बताया कि हज सब्सिडी से बचने वाली राशि सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर खर्च की जाएगी।
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नकवी ने यह भी बताया कि पिछले साल लगभग सवा लाख मुस्लिम हज पर गए थे, तो इस बार 1.75 लाख जायरीन हज यात्रा पर जा रहे हैं। आजाद भारत के इतिहास में अब तक इतने लोग कभी साथ में हज पर नहीं गए थे। गौरतलब है कि हाल ही में सऊदी अरब ने भारतीय जायरीनों के लिए कोटा 5 हजार और बढ़ा दिया है। अब कुल 1.75 लाख भारतीय जायरीन हज की यात्रा पर जा सकते हैं।
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अभी हाल है में मोदी सरकार ने एक और कानून लाते हुए लागू किया था कि अब महिलाएं भी बिना मेहरम के हज यात्रा पर जा सकेंगी। लेकिन इन महिलाओं की उम्र 45 से अधिक होनी चाहिए और इन महिलाओं को 4 सदस्यों के समूहों में होनी चाहिए, और खास बात यह है कि भारत से करीब 1300 महिलाएं इस बार बिना मेहरम के हज यात्रा करेंगी।