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मुंबई का यह शख्स सिखाता है बारिश का पानी बचाने का उपाय

इस समय जल संकट को लेकर पूरी दुनिया चिन्तित है। परन्तु इस समस्या के हल के लिये सभी स्तरों पर पूरी ज़िम्मेदारी व ईमानदारी के साथ एकीकृत प्रयास की आवश्यकता है। जलसंकट को लेकर हमें हाथ-पर-हाथ धरकर नहीं बैठ जाना चाहिए।

मुंबई का यह शख्स सिखाता है बारिश का पानी बचाने का उपाय
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मानसून शुरू होते ही मुंबई की सड़कें समंदर बन जाती हैं। नालियां भर  जाती हैं जिससे ट्रैफिक जाम हो जाता है। यही नहीं बारिश का हजारों लीटर पानी ऐसे ही बर्बाद हो जाता है। यदि होने वाली इस बरसात का जल संचयन कर उसकी आपूर्ति की जाए तो मुंबई में होने वाली पानी की कमी को काफी हद तक कंट्रोल में किया जा सकता है। इस काम को शुरू किया है मुंबई के रहने वाले सुभजीत मुखर्जी ने। मुखर्जी ने पानी बचाने की एक अनूठी अवधारणा को शुरू करते हुए मुंबई के हाउसिंग सोसाइटियों और स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने का बीड़ा उठाया है।

सुभजीत मुखर्जी ने अब तक 35 से अधिक स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को सलफतापूर्वक लगा दिया है, जबकि उनका इरादा कुल 50 स्कूलों में लगाने का है।


वे कहते हैं कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम एक ऐसी प्रणाली है जिसके द्वारा हम पानी की होने वाली कमी को काफी हद तक कंट्रोल में कर सकते हैं। वे आगे कहते हैं कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का पानी पीने लायक तो नहीं होता लेकिन उसे हम घर साफ करने, वाशरूम में, गाड़ी धोने, गार्डनिंग करने जैसे अनेक कामों के लिए उपयोग में ला सकते हैं।


रेन वाटर की जरुरत क्यों?
इंसानों की लालच के परिणामस्वरूप भूजल का अंधाधुंध दोहन किया गया परन्तु धरती से निकाले गए इस जल को वापस धरती को नहीं लौटाया गया। इससे भूजल स्तर गिरा तथा भीषण जलसंकट पैदा हुआ। एक अनुमान के अनुसार विश्व के लगभग 1.4 अरब लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं है। प्रकृति से जो जल हमने लिया है उसे वापस भी हमें ही लौटाना होगा, क्योंकि हम स्वयं जल नहीं बना सकते। अतः हमारा दायित्त्व है कि हम वर्षाजल का संरक्षण करें तथा प्राकृतिक जलस्रोतों को प्रदूषण से बचाएँ और किसी भी कीमत पर पानी को बर्बाद न होने दें।

इस समय जल संकट को लेकर पूरी दुनिया चिन्तित है। परन्तु इस समस्या के हल के लिये सभी स्तरों पर पूरी ज़िम्मेदारी व ईमानदारी के साथ एकीकृत प्रयास की आवश्यकता है। जलसंकट को लेकर हमें हाथ-पर-हाथ धरकर नहीं बैठ जाना चाहिए। इससे निपटना जरूरी है तभी हमारा आज और कल (वर्तमान एवं भविष्य) सुरक्षित रहेगा। इसके लिये कई वैज्ञानिक तरीके हैं जिनमें सबसे कारगर तरीका है-रेन वाटर हार्वेस्टिंग-अर्थात् वर्षाजल का संचय एवं संग्रह करके इसका समुचित प्रबन्धन एवं आवश्यकतानुसार आपूर्ति।

वर्षा के बाद इस पानी को उत्पादक कार्यों के लिये उपयोग हेतु एकत्र करने की प्रक्रिया को वर्षाजल संग्रहण कहा जाता है। दूसरे शब्दों में आपकी छत पर गिर रहे वर्षाजल को सामान्य तरीके से एकत्र कर उसे शुद्ध बनाने के काम को वर्षाजल संग्रहण कहते हैं। यह ज्यादा खर्चीली पद्धति भी नहीं है,

येह नहीं  बारिश का पानी प्रदुषण रहित होता है, इसलिए इसकी बहुत कम संभावना होती है कि जमा किये हुए पानी से टैंक या पाइप जल्द खराब जो जाएंगे। इसके अलावा, यह कुछ समय बाद भी उपयोग में लाया जा सकता है।

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