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सैकड़ो लोगों को कैंसर से निकालने में 63 साल के सागीर देशमुख ने लगा दिया अपना जीवन !

63 साल के सागीर देशमुख एक एनजीओं चलाते है , इस एनजीओ का नाम कैन केयर रिसर्च फाउंडेशन है जिसकी सहायता से सागीर कैंसर के पिड़ित मरिजों की सहायता करते है।

सैकड़ो लोगों को कैंसर से निकालने में 63 साल के सागीर देशमुख ने लगा दिया अपना जीवन !
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कहते है की अपने लिए तो सभी जीते है,  असली जीना तो उसका होता है जो किसी औरो के लिए जीये । मुंबई के बोरिवली इलाके के  कैंन केअर एनजीओ के जरीए सागीर देशमुख ने अभी तक सैकड़ो कैसर से पिड़ित मरीजों की सहायता  की है। सागीर का मानना है की आप को तभी खुशियां मिलती है जब आप किसी और को खुशियां दो ।  कईयों को तो सागिर ने कैंसर की शुरुआती स्टेंज मे बचा लिया और जिसको कैंसर ने अपना शिकार बना लिया मउनके जिंदगी के कुछ आखिरी क्षणो में भी सागीर ने हमेशा उनकी मदद की है और उनके बाद उनके परिवार वालों की भी समय समय पर सहायता की है। 



एनजीओ के जरिए करते है मदद

63 साल के सागीर देशमुख एक एनजीओं चलाते है , इस एनजीओ का नाम कैन केयर रिसर्च फाउंडेशन एनजीओ है। कैन केयर संस्था मुफ्त में कैंसर  पिड़ित  की सहायता करती है। पैसों के साथ साथ ये संस्था उन्हे महीनें में एक बार अपनी तरफ से राशन भी देती है जो बिल्कुल मुफ्त होता है।


टाटा मेमोरियल असपताल में वैद्यकीय समाज सेवा के रूप मे किया है काम

सागीर ने  टाटा मेमोरियल अस्पताल में एक वैद्यकीय समाज सेवा अधिकारी के रुप में जिंदगी के 30 साल गुजारे । टाटा मेमोरियल अस्पताल में सिर्फ मुंबई के ही नहीं बल्की देश के कोने - कोने से आनेवाले कैंसर के मरीजों का इलाज होता है। सागीर ने अक्सर वहां पर कई मरीजों को देखा और वहीं से उनको कैंसर पिड़ितो के लिए मदद करने की प्रेरणा मिली। 


कैंसर मरीजों में विश्वास निर्माण करना  पहली प्राथमिकता और वही मिली सफलता

अस्पताल में काम करने के दौरान उन्होने कई मरिजों को देखा जिनमें जीने की इच्छा ही खत्म हो गई थी। सागीर का कहना है की कई लोगों को लगता है की अगर उन्हे कैंसर हो गया तो वह नहीं बच पाएंगे, हालांकी ये गलत है सही समय पर अगर कैंसर का पता लगे तो उसका इलाज संभंव है। इसलिए किसी भी कैंसर मरीज को अगर सबसे पहले कोई चीज देनी चाहिए तो वो है विश्वास ,उनके अंदर अपने आप के प्रति विश्वास जगाना चाहिए।



नजदिक से देखा कैंसर के मरीजों की हालत

सागीर देशमुख का कहना है की उन्होने कैंसर मरीजों की जिंदगी को बड़े ही नजदिक से देखा है , कई मरीज देश के ऐसे कोने - कोने से अस्पताल में इलाज कराने आते थे जिनका आपने कभी नाम भी नहीं सुना होगा। उनके पास रहने कै पैसे तो छोड़िये,  खाने के भी पैसे नहीं होते थे। उनकी माली हालत इतनी खराब होती थी की कई बार तो उनके पास दवाईं खरिदने तक के भी पैसे नहीं होते है। मरीजों की इन हालत को इतनी नजदीकी से देखने के बाद उन्होने कैंसर के मरीजों के लिए कुछ करने का फैसला किया । साल 2014 में अपनी सेवानिवृत्त के बाद उन्होने कैंसर से पीड़ित मरीजों की मदद करने के लिए एनजीओ कैन केयर की स्थापना की।


कैंसर की बीमारी के दौरान पाजिटीव रहना सबसे जरुरी

देशमुख का मानना है कि कैंसर के उपचार का सबसे जरूरी पहलू सकारात्मक है। उन्होंने कहा, “ पैसा जमा किया जा सकता है लेकिन सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं है। इसे बनाने के लिए है जब एक मरीज हमें मदद के लिए आता है, तो हम पहली चीज उसके चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनाते हैं।



देश के कई अन्य राज्यों का भी किया दौरा

सागीर देशमुख ने देश के कई अन्य राज्यों में भी कैंसर मरीजों की मदद उनके घर घर जाकर की है। वह सिर्फ मुंबई में ही नहीं बल्की  देश के कई राज्यों में जाकर वहां के कैंसर मरीजों को सकारात्मक रहने के प्ररित करते है और अपनी संस्था के माध्यम से कई बार उनके उपचार में उनकी सहायता भी करते है। आज तक पुरे भारत मे उन्होने  620 मरिजो के घर जाकर के उनकी सहायता की है। 


कैंसर मुक्त भारत देखना चाहते है सागीर

सागीर भारत को कैंसर मुक्त देश के रुप में देखना चाहते है। जिसके लिए उन्होने पूरे देश में अभी तक 80 से भी ज्यादा  कैंसर जनजागृती कार्यक्रम का आयोजन किया है और वह भी बिना किसी शुल्क के। सेवा निवृत्ती के बाद से  आज तक करिब 10, 000 मरीजो को अलग अलग तरिके से सहायता की है इसके साथ ही अब इस फाउंडेशन से कई डॉक्टरों ने भी अपने आप को जोड़ा है। 


आप भी कर सकते है मदद
पता - कॅनकेअर रिसेअरच फौंडेशन
श्रीजी शॉपिंग अरकेड शॉप न. 27
एम जी रोड ग स स्कूल के बाजूमे
बोरिवली (पु)मुंबई 66

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