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'स्मार्ट गांव' से गांवों को स्मार्ट बनाते योगेश साहू

रखरखाव के आभाव में हर साल बड़े पैमाने पर कई टन अनाज सड़ जाते हैं या खराब हो जाते हैं। इससे मांग और पूर्ति प्रभावित होती है जिससे महंगाई बढ़ती है। जब योगेश को इस बारे में पता चला तो उन्होंने इसे रोकने के लिए एक 'स्मार्ट गांव' नामसे सॉफ्टवेयर बनाया।

'स्मार्ट गांव' से गांवों को स्मार्ट बनाते योगेश साहू
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भारत एक कृषिप्रधान देश है और यहां की 68% आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है। देश की 70 प्रतिशत आबादी कृषि में लगी हुई है। भारत लगातार अपने शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए तैयारी कर रहा है। महात्मा गांधी ने कहा था अगर भारत को समझना है तो पहले गांवों को समझो, मतलब उन्होंने गाँवों के विकास पर जोर दिया था। इस बात को समझा मुंबई के एक उद्यमी योगेश साहू ने।

उन्होंने भारतीय गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कदम उठाए हैं। दूरदर्शी, योगेश साहू, एम-इंटलेक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ हैं और वे 'स्मार्ट गांव' जैसे परियोजना को चला रहे हैं। उन्होंने 'स्मार्ट गांव' नामसे एक ऐप भी बनाया है। हिंदी और इंग्लिश में उपलब्ध इस ऐप से गांवों में रहने वालों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनने की तकनीकी बेहद ही आसान होती है। उन्होंने पहले उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में अपनी पहली सफल पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत भी की है।


कहां से प्रेरणा मिली योगेश को?

रखरखाव के आभाव में हर साल बड़े पैमाने पर कई टन अनाज सड़ जाते हैं या खराब हो जाते हैं। इससे मांग और पूर्ति प्रभावित होती है जिससे महंगाई बढ़ती है। जब योगेश को इस बारे में पता चला तो उन्होंने इसे रोकने के लिए एक 'स्मार्ट गांव' नामसे सॉफ्टवेयर बनाया। जो न केवल आपूर्ति-मांग को पूरा करता है बल्कि लोगों को प्रशिक्षण और सरकारी सहायता भी उपलब्ध कराता है। यही नहीं किसानों के उत्पादों को ई-मार्केटप्लस के द्वारा उन्हें उचित कीमत भी दिलाता है।


दोस्त के साथ मिलकर की शुरुआत

योगेश जब अपने दोस्त रजनीश के गाँव तौधकपुर गए थे तभी उन्होंने गांव में खाद्यान्न की बर्बादी देखी। रजनीश एक सॉफ्टवेयर इंजिनियर हैं जो विदेश में काम करते हैं, योगेश ने रजनीश से इस समस्या को शेयर किया। दोनों ने मिलकर कुछ करने का संकल्प लिया और इस तरह 'स्मार्ट गांव' ऐप की शुरुआत हुई। वे गांव के ग्राम पंचायत के सरपंच और अधिकारीयों से मिले और उनके सामने अपने विचार रखा। सभी को यह विचार काफी पसंद आया। इसके बाद उन्होंने खाद्यान्नों के उचित रखरखाव की रूप रेखा तय की। अब वे इस मामले में सरकार की भी मदद ले रहे हैं ताकि एक गांव दूसरे गांव से तकनीकी रूप से जुड़ सके।


दलालों से मिलेगी निजात

ऐप की सहायता से जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों में उपलब्ध है, गांव के स्थानीय लोग अब सीधे शहरों में अपने उत्पाद को बेच सकते हैं। इस प्रक्रिया में पूरी तरह से दलालों (बिचौलियों) से छुटकारा पाया जा सकता है। यही नहीं किसान अपने उत्पाद की सूची बना सकते हैं और प्राकृतिक नुकसान होने पर शिकायत भी दर्ज करा सकते है। इसके अलावा सरकार द्वारा जारी की तमाम कृषि योजनाओं की भी जानकारी इस ऐप के जरिये प्राप्त कर सकते हैं।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े ब्रांड के साथ कर रहे हैं काम

इंजीनियरिंग से स्नातक करने वाले योगेश साहू 13 साल से भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ बड़े ब्रांडों के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने एक साल पहले एम-इंटलक्ट शुरू किया, जिसके साथ उन्होंने सफलतापूर्वक विभिन्न परियोजनाएं पूरी कर ली और ब्रांड को बहुत ही कुशल लागत पर अनुकूलित ऐप बनाने के लिए मदद की।


डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ते कदम

एक बेहद ही सामान्य और गांव की पृष्टभूमि से आने वाले योगेश का मानना है कि यदि उचित तकनीकी और अवसर उपलब्ध कराये जाएं तो भारत के गांव भी स्मार्ट और वहां के लोग कुशल बन सकते हैं। पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया को साकार करने में लगे योगेश अपनी मेहनत और लगन से गांव को आगे बढ़ाने का बीड़ा जिस तरह से उठाया है और जिस तेजी के साथ काम कर रहे हैं वह वाकई में काबिले तारीफ है। अगर योगेश जैसे युवा आगे इसी तरह से आगे आकर काम करने तो भारत को सुपर पावर बनने से कोई नहीं रोक सकता।

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