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अंधकारमय बच्चों के खेल का भविष्य


अंधकारमय बच्चों के खेल का भविष्य
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देश में क्रिकेट को छोड़कर खेलों की दुर्दशा के लिए वे सभी जिम्मेदार हैं, जिनके कंधों पर खेलों के प्रोत्साहन एवं आयोजन की जिम्मेदारी है। यह हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इसकी दुर्दशा मुझे 20 अप्रैल को देखने को मिली। केंद्रीय विद्यालय के स्पोर्ट में हिस्सा लेने वाले अंडर 14 एवं अंडर 17 की छात्राओं का कांदिवली के साईं स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स में (क्लस्टर ) जुडो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। मुंबई, ठाणे एवं नवी मुंबई से केंद्रीय विद्यालय की छात्राओं ने भाग लिया था।

यहां का आलम यह था कि बच्चों को सुबह 9 बजे से पहले पहुंचने के लिए कहा गया था। ज्यादातर बच्चे साढ़े आठ बजे तक प्रतियोगिता स्थल पर पहुंच गए, लेकिन वहां पहले से कोई व्यवस्था नहीं की गयी थी। केंद्रीय विद्यालय सायन कोलीवाड़ा को आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसकी स्पोर्ट टीचर पाठक खुद 11.30 बजे सुबह पहुंची। 

जंगल में न तो बच्चों के खाने, न पीने के पानी की व्यवस्था, उपर से खुद बच्चों से प्रतियोगिता से जुड़े सारे काम करवाए गए। क्लस्टर में प्रतियोगिता जीतने वाले बच्चे रिजन में, और यहां से जीतकर नेशनल और फिर इंटरनेशनल में जाते हैं। अगर उनके साथ ऐसा बर्ताव होगा तो फिर आगे चलकर उनका भविष्य कैसा होगा यह समझा जा सकता है।


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