चंद्रयान -1 ’के सफल प्रक्षेपण के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया। इसरो का दूसरे सफलता की कहानी 22 जुलाई को शुरु हुई। भारत का 'चंद्रयान -2' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए तैयार है। इस प्रोयग में पूरी दुनियां की नजर अब भारत पर टिकी हुई है।
2008 में भारत ने चंद्रयान-1 भेजा था। यह ऑर्बिटर मिशन था, जिसने 10 महीने तक चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम दिया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय इसी अभियान को जाता है। चंद्रयान-2 इसी खोज को आगे बढ़ाते हुए वहां पानी और अन्य खनिजों के प्रमाण जुटाएगा।
चंद्रयान-2
के बारे में रोचक जानकारियां
चंद्रयान
- 2, चंद्रयान
-1 की ही अगला हिस्सा है। चंद्रयान
1 ने
10 महीने तक चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम दिया था।
10 महीने तक चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम दिया था।
यह
'चंद्रयान'
अभियान का दूसरा चरण है। मिशन चंद्रमा की सतह, चंद्रमा की कोर और बाहरी वातावरण का अध्ययन करके चंद्रमा पर पानी के स्रोत को खोजने की कोशिश करेगा।
भारत चंद्रमा की सतह पर एक नरम लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इसके पहले सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन ने इस तरह का प्रयोग किया था।
चंद्रयान 1 की सफलता के 11 साल बाद चंद्रयान 2 को लॉन्च किया गया
चंद्रयान 2 के लिए 978करोड़ रुपये खर्च किये गए
चंद्रयान
2 को चंद्रमा की सतह पर उतरने में
54 दिन लगेंगे
चंद्रमा का एक दिन मतलब पृथ्वी का 14
दिन
चंद्रयान
2 के तीन भाग होंगे। इनमें ऑर्बिटर,
लैंडर और सिक्स-व्हीलर रोवर शामिल हैं। इन सभी पूर्जो का उत्पादन भारत द्वारा सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर में बनाया गया है।