रेलवे में यात्रा करने वाली महिलाओं के खिलाफ अपराध में होते बढ़ोत्तरी को देखते हुए अब रेलवे ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए और भी पुख्ता कदम उठाए है। 2018 में, रेलवे में छेड़छाड़ के 158 मामले सामने आए, जिनमें से कई पर किसी का ध्यान नहीं गया। रेलवे में लगभग हर रोज 75 लाख यात्री सफर करते है जिनमें से तीस प्रतिशत महिला यात्री होते है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) द्वारा किए गए शोध के अनुसार, महिलाओं ने खराब रोशनी वाले स्टेशनों और पुलों को सुरक्षा के लिए खतरा पाया है।
कम रोशनी वाले जगहों पर लगेगी लाइट्स
जबकी स्टेशनों पर साफ-सुथरे और कार्यात्मक शौचालयों की कमी के साथ-साथ खराब बनी हुई सीढ़ियां और एस्केलेटर भी महिलाओं के सिए काफी सिरदर्द साबित होती है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए मुंबई रेलवे विकास निगम (MRVC) ने सलाहकारों और संबंधित अधिकारियों को कम रोशनीवाले इलाको को खत्म करने की योजना बनाने के लिए कहा है। इसके साथ ही इस बात को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिये की ल बीम, एफओबी और स्तंभों के बीच में कोई भी अंधेरी जगह ना हो।
पश्चिम रेलवे पर मुंबई सेंट्रल, जोगेश्वरी, कांदिवली, मीरा रोड, भायंदर, वसई रोड, नालासोपारा और विरार में इस योजना को अंजाम दिया जा सकता है इसके साथ ही मध्य रेलवे पर भांडुप, मुलुंड, ठाणे, डोंबिवली, शहाद, नेरल, र कसारा और जीटीबी नगर, चेंबूर, गोवंडी के साथ साथ हार्बर लाइन पर मानखुर्द स्टेशन पर इन अंधेरे इलाके को खत्म किया जा सकता है।
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