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खाली चल रही हैं श्रमिक ट्रेनें, राज्य को हुआ 42 लाख का नुकसान : राज्य सरकार

पुणे से रवाना हुई एक श्रमिक ट्रेन में सिर्फ 49 यात्री ही थे। खाली गई ट्रेनों के चलते सरकार को 42 लाख रुपए का नुकसान हुआ है।

खाली चल रही हैं श्रमिक ट्रेनें, राज्य को हुआ 42 लाख का नुकसान : राज्य सरकार
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प्रवासी मजदूरों (migrant workers) के मुद्दे को लेकर सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (center of indian trade union) की ओर से हाईकोर्ट (high court) में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई। इस याचिका में प्रवासी मजदूरों के मुद्दों को उठाया गया था।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रवासी मजदूरों की यात्रा पर कुल कितने रुपये खर्च हुए हैं। इस पर महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government ) ने बॉम्बे हाईकोर्ट ( Bombay High Court) को बताया कि श्रमिक ट्रेनों के कारण सरकार को 42 लाख रुपए का नुकसान हुआ है, क्योंकि ज्यादातर ट्रेनें खाली जा रही हैं। महाराष्ट्र सरकार ने आगे बताया कि ज्यादातर ट्रेनों में यात्री बेहद ही कम संख्या में यात्रा कर रहे हैं, यही वजह है कि सरकार को 42 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।

बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति अजय गडकरी की बेंच ने सुनवाई के दौरान पूछा था कि, कितनी संख्या में श्रमिक ट्रेनें चलाई गई और उनसे कितने मजदूरों ने सफर किया। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में सरकार से हलफनामा दायर करने को कहा।

इस दौरान महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणी ने कहा कि कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक एक्सप्रेस शुरू की गई थी, लेकिन अब  ट्रेनों सेे फी कम लोग यात्रा कर रहे हैं। पुणे से रवाना हुई एक श्रमिक ट्रेन में सिर्फ 49 यात्री ही थे। खाली गई ट्रेनों के चलते सरकार को 42 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि अब बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर वापस अपने गांव से काम के लिए महाराष्ट्र की तरफ रुख कर रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेलवे ने कोरोना वायरस के कारण लागू तालाबंदी के दौरान फंसे हुए प्रवासी कामगारों को घर पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने के लिए कुल 2,142 करोड़ खर्च किए हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ 429 करोड़ का ही राजस्व प्राप्त हुआ।

सबसे अधिक धनराशि 102 करोड़ का भुगतान गुजरात सरकार द्वारा किया गया क्योंकि यहां से 1,027 ट्रेनों के जरिये कुल 15 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों को उनके मूल राज्यों में वापस भेज दिया। इसके बाद महाराष्ट्र था, जिसने 844 ट्रेनों में 12 लाख श्रमिकों को वापस लाने के लिए, 85 करोड़ का भुगतान किया था।

इस बारे में अधिवक्ता रोनिता भट्टाचार्य ने कहा कि, उत्तर प्रदेश, बिहार व पश्चिम बंगाल के मजदूर गांव जाने के लिए अभी भी ट्रेन के इंतजार में हैं।

इसके बाद कोर्ट ने कहा कि, याचिकाकर्ता उन मजदूरों की संख्या का पता लगाए जो गांव जाने के इच्छुक हैं। मजदूर जिस राज्य में जाना चाहते है क्या उन्हें वहां जाने दिया जा रहा है?

अदालत ने राज्य सरकार को इस मामले को लेकर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी।

आपको बता दें कि, (Lockdown ) के समय में महाराष्ट्र के कई इलाकों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृह जिलों तक पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे(Indian Railways ) और राज्य सरकार के सहयोग से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें ( Shramik Special Trains ) चलाई जा रही हैं। लेकिन, अब सरकार का कहना है कि, ट्रेनें खाली चलने से सरकार को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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