बॉम्बे हाई कोर्ट ने 'मेट्रो रेल काॅर्पोरेशन' (एमएमआरसी) को फटकार लगाया और जिस तरह से मेट्रो के नाम पर मुंबई में स्थित पेड़ों को काटा जा रहा है उस पर चिंता जताई। कोर्ट ने कहा जिस तरह से मेट्रो के नाम पर पेड़ो को काट कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है उससे आने वाले दिनों में मुंबई मात्र नाम के लिए ही रह जाएगी और यहां केवल मेट्रो ही रह जायेगा।
पेड़ों को कटे जाने से पर्यावरणविद नाराज
गुरूवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने एमएमआरसी पर नाराजगी जाहिर करते हुए असंख्य पेड़ों के काटे जाने पर चिंता प्रकट की। आपको बता दें कि मेट्रो 3 एक कारशेड के निर्माण के चलते आरे में लगभग 5000 से अधिक पेड़ों को काट दिया गया। इन पेड़ों को काटे जाने के विरोध में कई पर्यावरण संगठन सहित कई पर्यावरणविदों ने भी चिंता जताई थी। साथ ही आरे और मुंबई के अन्य स्थानों पर काटे जा रहे पेड़ों के विरोध में कई लोगों ने कोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी। उन्ही याचिकाओं को लेकर सुनवाई जारी थी।
कोर्ट ने एमएमआरसी को लगाई फटकार
गुरुवार की सुनवाई न्यायमूर्ती सत्यरंजन धर्माधिकारी आणि न्यायमूर्ती भारती डांगरे की खंडपीठ ने की। याचिकाकर्ताओं ने पर्यावरण को हो रहे नुकसान के बारे में जहां कोर्ट को चेताया तो वहीं एमएमआरसी ने कोर्ट को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की कि मेट्रो द्वारा जो कार्य किये जा रहे हैं पर्यावरण को ध्यान में रख कर ही किये जा रहे हैं, काम से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं हो रहा है। लेकिन कोर्ट ने एमएमआरसी की बात को मानने से इंकार कर दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 मार्च को होगी।