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video : मुंबई में चली दरवाजे वाली लोकल ट्रेन, सामने आई यह परेशानी

हालांकि अभी इसे प्रयोगिक तौर पर ही शुरू किया गया है। अगर यह प्रयोग सफल होता तो इसे सभी लोकल ट्रेनों में इसे शुरू किया जाएगा।

video : मुंबई में चली दरवाजे वाली लोकल ट्रेन, सामने आई यह परेशानी
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चलती ट्रेन से गिर कर होने वाले हादसों को रोकने के लिए पश्चिम रेलवे ने बंद दरवाजों की लोकल चलाने की योजना बनाई है। जिसके तहत ट्रेन के रुकने के बाद और चलने से पहले मेट्रो की तरह ऑटोमैटिक रूप से दरवाजे बंद हो जायेंगे। हालांकि अभी इसे प्रयोगिक तौर पर ही शुरू किया गया है। अगर यह प्रयोग सफल होता तो इसे सभी लोकल ट्रेनों में इसे शुरू किया जाएगा।लेकिन ट्रायल के दौरान पता चला कि दरवाजे बंद होने के बाद डिब्बे में कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ गई थी, जिससे यात्रियों के दम घुटने की शिकायतें सामने आ सकती है।

बंद दरवाजों की लोकल ट्रेन का हुआ ट्रायल 
7 जनवरी के दिन पश्चिम रेलवे की एक लोकल ट्रेन की तीन बोगियों के दरवाजे जब ऑटोमैटिक रूप से खुलने और बंद होने लगे तो यात्री हैरान रह गए। बाद में रेलवे ने बताया कि हादसों को रोकने के लिए रेट्रो फिटेड रेक में बंद दरवाजों की लोकल ट्रेन का ट्रायल किया जा रहा है। ट्रेन के तीन डिब्बों में ऑटोमैटिक डोर क्लोजर सिस्टम लगाया गया था। 


यात्रियों का घुट सकता है दम 
ट्रायल के दौरान ही सबसे बड़ी खामी यह सामने आई कि इन डिब्बों में ऑक्सिजन (O2) की मात्रा उस समय काफी कम हो गयी जब दरवाजे बंद हो गए। दरवाजे बंद होने के बाद डिब्बे में 700 ppm तक कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) की मात्रा होनी चाहिए, जबकि ट्रायल के दौरान यह आंकड़ा अधिकतम 960 ppm तक पहुंच गया। CO2 का लेवल बढ़ने से स्वाभाविक तौर पर डिब्बे में O2 की मात्रा कम हो रही थी, जिससे यात्रियों का दम तक घुट सकता है।

लग सकता है अधिक समय  
साथ ही इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि दरवाजे झूलने और बंद होने के बाद क्या ट्रेन समय पर चल पाएगी। क्योंकि ट्रेन के दरवाजे बंद होने और खुलने के कारण हर स्टेशन पर औसत से 20-25 सेकेंड ज्यादा समय लग रहा था। इस लोकल का ट्रायल नॉन पीक आवर्स (कम भीड़ वाले समय) में किया गया था, यदि पीक आवर्स में होता, तो स्थितियां गंभीर हो सकती थीं।

चुनौती अभी भी है
अभी इस समय ट्रेन जैसे ही स्टेशन पर धीमी होती है तो लोग ट्रेन के रुकने के पहले ही उतरने लगते हैं और जब ट्रेन के रुकने तक आधे से अधिक उतरने वाले यात्री उतर चुके होते हैं। इसके बाद लोग चढ़ना शुरू करते हैं, अब जरा कल्पना कीजिये, अगर दरवाजे वाली ट्रेन स्टेशन पर रूकती है, दरवाजा खुलता है और यात्रियों की भीड़ उतरती है और इसके बाद लोगों की भीड़ चढ़ती है तो इस दौरान समय भी अधिक लगेगा और लोगों के बीच आपाधापी भी काफी अधिक होगी।

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