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कोरोना काल में मुंबई एयरपोर्ट को हुआ करोड़ो रुपये का घाटा

घाटे को देखते हुए हवाईअड्डा प्रशासन ने हवाईअड्डा वित्तीय नियामक प्राधिकरण (AERA) से विकास शुल्क बढ़ाने की मंजूरी मांगी थी।हाालांकि AERA ने कोरोना संकट के कारण, मौजूदा दरें 31 मार्च, 2022 तक समान रखने का निर्णय लिया है।

कोरोना काल में मुंबई एयरपोर्ट को हुआ करोड़ो रुपये का घाटा
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कोरोना (Covid) काल में मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (chhatrapati shivaji maharaj international airport) को करीब 15 करोड़ रुपये का घाटा लगा है। यह घाटा यात्रियों की संख्या में गिरावट के कारण हुआ है। कोरोना संकट से पहले मुंबई का एयरपोर्ट(mumbai airport) देश का सबसे व्यस्ततम एयरपोर्ट था।

आंकड़ों के मुताबिक, इस हवाईअड्डे से सालाना औसतन 4 करोड़ 33 लाख यात्री यात्रा करते हैं।  लेकिन पिछले साल जब कोरोना के कारण लॉकडाउन की घोषणा की गई, मतलब 25 मार्च से 25 मई तक दो महीने के लिए एयरपोर्ट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। इस बीच यात्रियों की संख्या में 70 लाख की कमी आई। और जब हवाईअड्डा खोला गया तो, दैनिक उड़ानों की संख्या आधे से भी कम हुई।

जैसे-जैसे उड़ानों की संख्या में कमी आई है, वैसे ही यात्रियों की संख्या में भी कमी आई है। 25 मई को एयरपोर्ट खुलने के बाद से इसमें कम से कम 1.5 करोड़ रुपये की गिरावट आई है। नतीजतन, शुल्क में भी गिरावट आई है।

मुंबई एयरपोर्ट से प्रस्थान करने वाले प्रत्येक टिकट पर डेवलोप शुल्क लिया जाता है। फिलहाल घरेलू यात्रा के लिए 120 रुपये और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए 720 रुपये शुल्क लिया जाता है। इस राशि से मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (MIAL) द्वारा एयरपोर्ट का विकास कार्य किया जाता है। औसतन इन दोनों दरों को देखते हुए 1.5 करोड़ यात्रियों की कमी से हवाईअड्डे पर कम से कम 15 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रभाव पड़ा है।

इस घाटे को देखते हुए हवाईअड्डा प्रशासन ने हवाईअड्डा वित्तीय नियामक प्राधिकरण (AERA) से विकास शुल्क बढ़ाने की मंजूरी मांगी थी।हाालांकि AERA ने कोरोना संकट के कारण, मौजूदा दरें 31 मार्च, 2022 तक समान रखने का निर्णय लिया है।

इस बीच, जब 2012 में दरें तय की गईं, तो हवाई अड्डे का राजस्व घाटा 3,845 करोड़ रुपये था। और साल 2016 में जब दरें बढ़ाई गईं तो घाटा 518 करोड़ रुपए था। जबकि मौजूदा समय में 524 करोड़ रुपये का घाटा है।

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