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यात्रियों की तुलना में कम चल रही हैं लोकल ट्रेनें, भीड़ के अलावा धक्का मुक्की भी बढ़ी

इन दिनों सोशल मीडिया (social media) में ऐसी कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो भयावह है। लोकल ट्रेनों में यात्रियों की भीड़ दिखाई दे रही है, सोशल डिस्टेंस की बात तो दूर यात्री ट्रेनों में इस कदर ससके हुए हैं उनके बीच से हवा भी पास नहीं हो सकती।

यात्रियों की तुलना में कम चल रही हैं लोकल ट्रेनें, भीड़ के अलावा धक्का मुक्की भी बढ़ी
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मुंबई लोकल ट्रेन (mumbai local train) केवल आवश्यक सेवा कर्मियों के लिए मुंबई में शुरू की गई है। सेंट्रल रेलवे (central railway) और पश्चिम रेलवे (western railway) प्रशासन ने केवल आवश्यक कर्मचारियों को ही लोकल ट्रेनों में यात्रा की अनुमति दी है ताकि भीड़ कम हो और लोग सोशल डिस्टेंस (social distance) के नियमों का पालन कर सकें। लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया (social media) में ऐसी कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो भयावह है। लोकल ट्रेनों में यात्रियों की भीड़ दिखाई दे रही है, सोशल डिस्टेंस की बात तो दूर यात्री ट्रेनों में इस कदर ससके हुए हैं उनके बीच से हवा भी पास नहीं हो सकती। साथ ही यात्री ट्रेनों के दरवाजे पर भी लटके हुए दिखाई दे रहे हैं। ये तस्वीरें कोरोना (Covid-19) से पहले वाले समय की याद दिला रही हैं। ऐसा भी नहीं है कि यह जनरल डिब्बे का हाल है बल्कि महिला डिब्बो में भी कमोबेश स्थिति यही है।

मध्य और पश्चिम रेलवे ने यात्रियों की बढ़ती संख्या को समायोजित करने के लिए लोकल ट्रेनों की संख्या में और उनकी फेरियों में वृद्धि भी किया है। कुछ दिनों पहले, सेंट्रल रेलवे प्रशासन ने लोकल सेवाओं में वृद्धि की। हालांकि, यह वृद्धि यात्रियों की तुलना में कम होने की उम्मीद है। इसलिए यात्रियों ने लोकल की फेरियों को बढ़ाने की मांग की है। साथ ही, महिलाओं के लिए अभी भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। महिला आरक्षित डिब्बे महिलाओं के लिए कम पड़ रहे हैं। ट्रेनों में लगातार महिला यात्रियों की संख्या बढ़ रही है। इसे देखते हुए महिला यात्रियों ने भी उनके लिए विशेष लोकल चलाने की मांग की है।

वर्तमान समय में अति आवश्यक कार्य में लगे लोगों के लिए मध्य रेलवे 423 और पश्चिम रेलवे 500 फेरियां लगवा रही है। लेकिन ये फेरियां सामान्य शेड्यूल से कम है। इसलिए, ट्रेनों में सुबह और शाम को भीड़ बढ़ रही है। इसी तरह, अगर निकट भविष्य में लोकल सेवाएं शुरू की जाती हैं या यदि यात्रियों की संख्या की तुलना में लोकल फेरियों की संख्या कम होती है, तो कोरोना का जोखिम बढ़ने की संभावना अधिक रहती है।

लॉकडाउन (lockdown) से पहले, मध्य रेलवे में सुबह और शाम CSMT कल्याण से और CSMT तक 2, और CSMT से पनवेल फिर CSMT तक 2 लोकल फेरियां महिलाओं के लिए विशेषरूप से थीं। पश्चिम रेलवे में चर्चगेट से बोरिवली 1, चर्चगेट से विरार 3 और बोरीवली से चर्चगेट 1, विरार से चर्चगेट 3, भायंदर से चर्चगेट 1 और वसई से चर्चगेट 1 फेरियां हैं।  इसके अलावा, मध्य रेलवे के मुख्य और हार्बर पर कुछ लोकल ट्रेनों की फेरियों में महिलाओं के लिए तीन डिब्बे थे, लेकिन अब यह सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण महिलाओं को भीड़ में ही यात्रा करनी पड़ रही है।

अब सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति बढ़ी है। परिणामस्वरूप, लोकल में यात्रा करने वाली महिला यात्रियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। लेकिन महिलाओं को ट्रेनों में भीड़ का सामना करना पड़ता है और बिना किसी सोशल डिस्टेंस के।

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