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राज्य में ऑटो रिक्शा की संख्या में 35 फीसदी तक वृद्धि

राज्य सरकार की तरफ से ऑटो रिक्शा का परमिट देने पर रोक लगा दी गयी थी लेकिन बाद में इस रोक को हटा लिया गया।

राज्य में ऑटो रिक्शा की संख्या में 35 फीसदी तक वृद्धि
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पिछले 2 वर्षों में राज्य भर में काली-पीली ऑटोरिक्शा की संख्या में 45 फीसदी तक वृद्धि हुई है। पहले राज्य  सरकार की तरफ से ऑटो रिक्शा का परमिट देने पर रोक लगा दी गयी थी लेकिन बाद में इस रोक को हटा लिया गया। प्रतिबंध हटाए जाने से पहले रिक्शा के परमिट संख्या 5 लाख 11 हजार 941 थी और जब परमिट पर लगी रोक हटा दिया गया तो यह संख्या बढ़ कर 7 लाख 45 हजार 88 तक पहुंच गयी। लगभग 2 लाख 33  हजार 147 की संख्नया में नए परमिट दिए गये। मुंबई में भी ऑटो की संख्या में 35% की वृद्धि दर्ज की गयी है। 

केंद्रीय भूपृष्ठ परिवहन मंत्रालया की तरफ से साल 1997 में मुंबई सहित ठाणे, पुणे, नागपुर, सोलापुर, नासिक और औरंगाबाद जिलों में भी रिक्शा, टैक्सियों की संख्या को सीमित करने का आदेश दिया था, जिसके बाद सरकार ने परमिटों को जारी करने पर रोक लगा दिया। लेकिन रोक लगाने के बाद भ्रष्टाचार के भी मामले सामने आने लगे।

जून 2017 में सरकार की तरफ से नई नीति जारी करते हुए परमिट पर लगी रोक को हटा दिया गया। इसके बाद से तो ऑटो और टैक्सियों के परमिट लेने वालों की संख्या में बेहताशा वृद्धि हुई। जून 2017 के पहले रिक्शा के लाइसेंस की संख्या 5 लाख 11 हजार 941 आंकी गई थी। लेकिन बाद में संख्या बढ़ कर 7 लाख 45 हजार 88 तक पहुंच गई है। लाइसेंस जारी होने के बाद कई लोगों आवेदन देकर लाइसेंस लिया जिससे इसकी संख्या में काफी इजाफा हुआ। ऑटो की तरफ टैक्सी के लाइसेंस की संख्या में वृद्धि हुई, लाइसेंस जारी होने के पहले इसकी संख्या 69609 थी जो 2 साला में बढ़ कर 74375 पर पहुंच गयी.

मुंबई में 1 लाख 30 हजार 970 परमिट वाले ऑटो रिक्शा थे। इसमें अब 34 फीसदी की वृद्धि हुई। लगभग 45 हजार 500 नए लाइसेंस आवंटित किए गए हैं। ठाणे, कल्याण, पुणे, पिंपरी चिंचवाड़ और औरंगाबाद जैसे शहरों में काली-पीली ऑटो रिक्शा का लाइसेंस के लिए काफी लोगों ने आवेदन किया था। 

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