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फास्टैग की सख्ती के खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका

इस याचिका को पुणे के एक व्यवसायी ने दायर किया है। बता दें कि फास्टैग न होने पर वाहन चालक से जुर्माने के रूप में दोगुना टोल वसूलने का प्रावधान है।

फास्टैग की सख्ती के खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका
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फास्टैग (fastag) को अनिवार्य करने के विरोध में मुंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका को पुणे के एक व्यवसायी ने दायर किया है। बता दें कि फास्टैग न होने पर वाहन चालक से जुर्माने के रूप में दोगुना टोल वसूलने का प्रावधान है।

याचिका पर बुधवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय ने याचिका का संज्ञान लिया और केंद्रीय परिवहन मंत्रालय को एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने और सुनवाई के लिए 17 मार्च की तारीख तय करने का निर्देश दिया।

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के तहत आने वाले टोल प्लाजा पर वाहनों की लंबी कतारें लगती हैं, जिससे छुटकारा दिलाने के लिए फास्टैग सिस्टम को टोल प्लाजा (toll plaza) पर पेश किया गया है। फास्टैग नहीं होने पर चालकों से दोगुना शुल्क लिया जा रहा है। फास्टैग की इस सख्ती को लेकर 

पुणे के एक व्यापारी अर्जुन खानपुरे ने एडवोकेट उदय वारुंजिकर के माध्यम से बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है।

याचिका में कहा गया है कि, कानून स्पष्ट करता है कि नकद भुगतान, कार्ड या फास्टैग से टोल का भुगतान करने की अनुमति है।  इसलिए एक ही भुगतान विधि को लागू करना ठीक नहीं है।

इसके अलावा इस याचिका में सभी टोल प्लाजा पर एक कैश लेन शुरू करने की भी मांग की गई है।

बता दें कि, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने ट्रैफिक से बचने के लिए 'वन नेशन, वन फास्टैग' नीति लागू की है। जिन वाहनों में फास्टैग नहीं है उनसे दोगुना टोल वसूला जा रहा है। कई वाहनों को फास्टैग नहीं होने से टोल प्लाजा पर ओवरचार्ज किया जा रहा है। जिसकेे कारण टोल बूथ पर अक्सर ड्राइवर और कर्मचारियों के बीच विवाद होते देखे जाते हैं।

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