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रेल रोको आंदोलन: महीने भर से की जा रही थी गुप्त तैयारी

आखिर इतने बड़े आंदोलन होने की खबर प्रशासन को पहले क्यों नहीं लगी? ऐसा कैसे हो सकता है कि हजारों की संख्या में जुटे लोग अचानक से जुट गए और आंदोलन करने लगे, बिना प्री प्लानिंग के यह सम्भव ही नहीं है।

रेल रोको आंदोलन: महीने भर से की जा रही थी गुप्त तैयारी
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मंगलवार सुबह सुबह जैसे ही लोग ऑफिस जाने के लिए घर से निकले या फिर स्टेशन पहुंचे तो पता चला कि हजारों की संख्या में रेलवे के कई अप्रेंटिस छात्रों ने रेल रोको आन्दोलन किया है। इस आंदोलन से सेंट्रल रेलवे की लोकल और एक्सप्रेस सेवा दोनों पूरी तरह से ठप्प हो गयी। आखिरकार प्रशासन के द्वारा लिखित आश्वासन मिलने के बाद ही यानि 4 घंटे बाद आंदोलनकारियों ने अपना आंदोलन पीछे लिया। 



कैसे प्रशासन का नहीं लगी खबर? 
बताया जाता है कि इस आंदोलन में महाराष्ट्र के भुसावल, जलगांव, धुले सहित कई जिलों से भी आंदोलनकारी आये हुए थे। सवाल उठता है कि आखिर इतने बड़े आंदोलन होने की खबर प्रशासन को पहले क्यों नहीं लगी? ऐसा कैसे हो सकता है कि हजारों की संख्या में जुटे लोग अचानक से जुट गए और आंदोलन करने लगे, बिना प्री प्लानिंग के यह सम्भव ही नहीं है। 

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सरकार का उपेक्षित रवैया 
आंदोलनकारियों ने इस बारे में रेलवे के 16 विभाग के अधिकारियों सहित मुख्यमंत्री कार्यालय को भी पत्र लिखा था, लेकिन इस तरह किसी के द्वारा ध्यान नहीं देने पर छात्र आंदोलन करने के लिए मजबूर हुए। इन छात्रों की मांग थी कि 'वन टाइम सेटलमेंट' के तहत जिन लोगों का अप्रेंटिस पूरा हो चुका है उन्हें नियमित किया जाये। इस बारे में छात्रों का कहना है कि वे तीन साल से इसकी मांग कर रहे हैं। यही नहीं छात्रों के अनुसार उन्होंने दिल्ली जाकर भी आंदोलन किया था लेकिन वहाँ इनका स्वागत पुलिस ने लाठी और डंडे से किया था। छात्रों के मुताबिक 15 दिन पहले भी रेलवे के जोन 17 के जीएम को पात्र लिख कर मांग की तरफ ध्यान दिलाने की कोशिश की गयी थी, साथ ही मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन करने की भी चेतावनी दी गयी थी, बावजूद इसके कोई ध्यान नहीं दिया गया। अभी 3 दिन पहले ही वॉट्सऐप के माध्यम से मुख्यमंत्री और रेलवे के जोन 17 के जीएम को 20 मार्च को आंदोलन करने की जानकारी भी दी गयी थी।  


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गुप्त रूप से संचालित हो रही थी प्रक्रिया 
इस आंदोलन को मूर्त स्वरुप देने के लिए सभी छात्र एक महीने से एक दूसरे के सम्पर्क में थे यानी इस आंदोलन की तैयारी एक महीने पहले से ही की जा रही थी। आंदोलन की रुपरेखा तय करने के लिए कुछ छात्र लगातार हर जिले की तालुका का दौरा भी कर रहे थे। यह सभी प्रक्रिया काफी गुप्त रूप से संचालित की जा रही थी। बाहर से आने वाले सभी छात्रों की दादर स्टेशन पर आने के लिए कहा गया था। उसी के अनुसार मंगलवार को सभी को दादर बुला कर रेल रोको आंदोलन करने की जानकारी दी गयी।

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