तो इसीलिए घायल गंवा बैठते हैं अपनी जान
जानकारी में आगे यह भी कहा गया है कि ऐसी स्थिति में स्टेशन पर रहने वाले कुलियों या फिर नशेड़ियों की सहायता ली जाती है। शकील अहमद कहते हैं कि अगर कोई यात्री दुर्घटना का शिकार होता है तो स्टेशन मास्टर जख्मियों या डेड बॉडी को हटाने के लिए नशेड़ियों या फिर गरदुल्लों की मदद लेते हैं। शकील आगे बताते हैं कि ऐसे नशेड़ियों या गरदुल्लों को ढूंढने में समय जाता है तब तक घायल वैसे ही पड़ा रहता है। इसीलिए समय पर पर इलाज नहीं मिलने के कारण घायल यात्री की मौत हो जाती है। और जैसा की सभी जानते हैं कि हादसे में मरने वालों लोगो में ऐसे कई हैं जिन्हे अगर सही समय पर चिकित्सा सुविधा मिली होती तो वे आज जीवित होते।
शेख के अनुसार रेल मंत्री पीयूष गोयल और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी को पत्र लिख कर इस बारे में अवगत करा दिया गया है। हमें आशा है कि रेलवे की तरफ से जल्द ही कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी।
साल 2017 में रेलवे हादसे का शिकार हुए यात्रियों की संख्या
सेंट्रल रेलवे-
घायलों की संख्या - 1435
मृतकों की संख्या - 1534
पश्चिम रेलवे
घायलों की संख्या- 1540
मृतकों की संख्या- 1086
हार्बर रेलवे
घायलों की संख्या - 370
मृतकों की संख्या - 394
कुल
घायलों की संख्या - 3345
मृतकों की संख्या- 3014