‘रॉकस्टार’, ‘एयरलिफ्ट’ और ‘आर्टिकल 15’ जैसी तमाम फिल्मों में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके एक्टर कुमुद मिश्रा का पहला प्यार थिएटर है। आज उनके हिस्से में भले ही तमाम फिल्में हैं, पर आज भी वे थिएटर को नहीं भूले हैं। उनका मानना है कि थिएटर पैसा नहीं तो सुकून तो देता है। कुमुद जल्द ही डायरेक्टर मनोज तिवारी की फिल्म ‘प से प्यार और फ से फरार’ में एक दमदार किरदार में नजर आने वाले हैं। इसके अलावा वे अनुभव सिन्हा की फिल्म 'थप्पड़’, सुनील शेट्टी के बेटे अहान शेट्टी के साथ 'आरएक्स 100', अक्षय कुमार के साथ 'सूर्यवंशी' में नजर आने वाले हैं। ‘प से प्यार और फ से फरार’ की रिलीज से पहले मुंबई लाइव ने कुमुद मिश्रा से खास मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने थिएटर, फिल्म और निजी जिंदगी से जुड़े सवालों का बेबाकी से जवाब दिया।
इस फिल्म से कैसे जुड़े?
मनोज तिवारी (डायरेक्टर) का फोन आया था। वे इस फिल्म के लिए मुझसे मिलना चाहते थे, मैं जाकर मिला। उन्होंने बैठकर मुझे पूरी स्क्रिप्ट सुनाई। अक्सर मैं पहले स्क्रिप्ट को पढ़ता हूं फिर हां बोलता हूं, पर उनका नरेशन इतना अच्छा था कि मैंने स्क्रिप्ट को बिना पढ़े ही हां बोल दिया। मुझे लगा यह फिल्म बननी चाहिए, इसमें जिस सब्जेक्ट को दिखाया गया है, वह दर्शकों तक पहुंचना जरूरी है।
फिल्म में आपका किरदार?
एक बाप है, जो अपनी बेटी से बहुत प्यार करता है, पर जिस समाज में वह रहता है, उस समाज की पंरपरा से भी वह बंधा हुआ है। वह उस समाज को नहीं छोड़ पा रहा है। एक तरफ पिता के कर्तव्य और दूसरी तरफ समाज के द्वंद में यह किरदार फंसा हुआ है।
अभी भी आप अपने पहले प्यार थिएटर को समय दे पाते हैं?
बिलकुल समय मिल पाता है। अभी हम बात कर रहे हैं और कल ही मैंने कुछ शोज पूरे किए हैं। फरवरी में बैंग्लौर में मेरा नया प्ले है। तो नाटक तो लगातार चलते ही रहते हैं।
आपके पास इस समय काफी फिल्में रहती हैं, समय कैसे मैनेज करते हैं?
मैनेज करना पड़ता है। अगर आप थोड़ा नुकसान यहां उठाते हैं, तो दूसरी जगह आपको फायदा भी होगा। अगर मैं नाटक करता हूं और उस दौरान कोई फिल्म आती है, तो जाहिर सी बात है मैं उसे नहीं कर पाउंगा। तो नुकसान तो होगा ही पर नाटक का सुख भी तो मिलेगा।
एक्टर बनने का सपना बचपन का था?
मैं दो चीजें करना चाहता था, फौज में जाना चाहता था और एक्टर बनना चाहता था। क्योंकि मैं मिलेट्री स्कूल से पढ़ा हूं और मेरे पिता जी भी फौज में थे। जाहिर सी बात है दिमाग में फौज ही आएगी। मेरे बहुत सारे साथी भी फौज में हैं। जब मैं बड़ा हुआ तो मुझे समझ में आया कि दोनों चीजें नहीं हो सकतीं। या तो आप अभिनेता बन सकते हैं या फौजी। तब मैं एक अभिनेता बना। एक्टिंग के शुरुआती करियर में जब भी किसी साथी को वर्दी में देखता था, तो कभी कभी मलाल भी होता था कि अच्छा होता अगर फौज में ही चला जाता। मुझे लगता है शायद उनको भी इसी तरह का मलाल होता होगा।
फैमिली से सपोर्ट मिला?
मुझे मेरी फैमिली का सपोर्ट हमेशा से था। मेरे पिता जी ने बचपन में रामलीला किया था। बहुत अच्छा गाते भी थे और अभिनेता भी थे। पारिवारिक जिम्मेदारियां थीं, जिसके चलते फौज में गए। मुझे उन्होंने किसी चीज के लिए कभी मना नहीं किया। उस समय पर जो एक सर्वाइवल का सवाल था, वह भी उनके मन के अंदर एक दुविधा के तौर पर था। पर उसको उन्होंने मेरे ऊपर कभी जाहिर नहीं होने दिया।
खासकर यूथ का इस समय वेब सीरीज की ओर बड़ा रुझान है, आप कोई वेब सीरीज कर रहे हैं?
हां अली फजल के साथ में एक वेब सीरीज कर रहा हूं, जिसका नाम ‘तांडव’ है। मैं इसके बारे में अभी ज्यादा कुछ नहीं बता सकता। मुझे तो यह भी पता नहीं कि नाम भी अभी इसका बताना चाहिए था या नहीं।