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Bandra Fire: एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर अपनी-अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया बीजेपी शिवसेना ने

यह कोई पहली बार नहीं है, बांद्रा में ही बेहरामपाड़ा भी कई बार इसी तरह से आग हादसे का शिकार हो चुक है। जब तक ये अवैध निर्माण होते रहेंगे तब तक ऐसे हादसे भी रुकने का नाम नहीं लेंगे।

Bandra Fire: एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर अपनी-अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया बीजेपी शिवसेना ने
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मंगलवार 30 अक्टूबर का दिन बांद्रा के नरगिस दत्त इलाके में रहने वालों के लिए बेहद ही मनहूस साबित हुआ। यहां लगी आग से सैकड़ों घर उजड़ गए, आग इतनी भयानक थी कि दमकल विभाग को आग बुझाने पर 4 घंटे लग गए, ऊपर से घरों में रखे गैस सिलेंडर का ब्लास्ट। कुल मिलाकर बेहद ही डरावना और ख़ौफ़नाक मंजर था। ग़नीमत रही कि इस आग में किसी की जान नहीं गयी लेकिन आग के बाद अब राजनीति और आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू हो गया।


शुरू हुआ आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला 

मौके पर पहुंचे बीजेपी नेता और स्थानीय विधायक आशीष शेलार ने अवैध और बेतरतीब निर्माण को इस घटना का जिम्मेदार बताते हुए बीएमसी की तरह उंगली उठाई तो स्थिति का जायजा लेने पहुंचे महापौर विश्वनाथ महाडेश्वर ने इस जगह को म्हाडा की बताते हुए सीधे सीधे राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया। अब सवाल उठता है कि आग लगने की जिम्मेदार कौन है?

मुंबई लाइव से बात करते हुए विधायक आशीष शेलार ने कहा कि इस इलाके में हुए अवैध निर्माण को लेकर मैंने कई बार संबंधित विभाग से फॉलोअप लिया लेकिन जब भी इस पर कार्रावाई की जाती है तो राजनीतिक पार्टियां हस्तक्षेप करने लगत हैं। इस बार भी जो आग लगी उसका कारण अवैध निर्माण ही है। अवैध निर्माण को रोकने में स्थानीय बॉडी पूरी तरह से फेल है।


जबकि शिवसेना नेता और महापौर विश्वनाथ महाडेश्वर ने मुंबई लाइव को बताया कि यह जगह म्हाडा के अंतर्गत आती है, अवैध निर्माण रोकने का काम म्हाडा का है। आग क्यों लगी, कैसे लगी, लगी या लगाई गयी, इसकी जांच जारी है।

ये आग कब बुझेगी?

इसमें कोई शक नहीं है कि आग लगने का मुख्य कारण अवैध निर्माण है, लेकिन इन होने वाले अवैध निर्माण का दोषी कौन है? स्थानीय प्रशासन और नेता उस समय नहीं दिखाई देते जब ये अवैध निर्माण होते हैं। यही नहीं यहां गलियां भी काफी संकरी हैं जिससे दमकल विभाग को आग बुझाने में काफी परेशानी हुई। झोपड़ो का जाल इस तरह से फैला हुआ है कि दिन में भी अंधेरा रहता है। एक के ऊपर एक 4 से 5 मंजिला इमारतें हादसों को दावत देती रहती हैं। अगर किसी एक घर में कुछ हुआ तो मिनटों में कई घर चपेट में आ जाते हैं।

यह कोई पहली बार नहीं है, बांद्रा में ही बेहरामपाड़ा भी कई बार इसी तरह से आग हादसे का शिकार हो चुक है। जब तक ये अवैध निर्माण होते रहेंगे तब तक ऐसे हादसे भी रुकने का नाम नहीं लेंगे।   

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