बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह हर महीने विभिन्न परियोजनाओं से प्रभावित माहुल में स्थानांतरित किए गए लोगों को 15,000 रुपये किराया के रूप में अदा करे और 45,000 रुपये डिपोजीट के रुप में दे। न्यायाधीश अभय ओक और न्यायाधीश मनोज संकलेचा की खंडपीठ ने बुधवार को यह निर्देश दिया। इस निर्देश को चुनौती देने के लिए,उसे तत्काल स्थगित देने की मांग को हाईकोर्ट ने नकार दिया।
आइआईटी मुंबई की ओर से तैयार रिपोर्ट में माहुल वासियों को गंभीर प्रदूषण की समस्या के बारे में बताया गया है। जो कि पूर्वी चेंबूर के एक औद्योगिक क्षेत्र महसा की तानसा पाइपलाइन की साइट से स्थानांतरित कर दिए गए थे।हाईकोर्ट ने उन्हें वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की मुंबई पीठ ने माहुल में प्रदूषण का अवलोकन किया था।
घाटकोपर पाइपलाइन के पास कार्रवाई के बाद के पुनर्वसन में माहुल में रहनेवालों के संबंध में आईआईटी मुंबई की ओर से तैयार रिपोर्ट को देखते हुए वहां की इमारतों की मरम्मत, गंदे पानी की व्यवस्था, स्वच्छता और अन्य नागरिक सुविधा का काम जल्द से जल्द किया जा रहा है। साथ ही पास ही स्थित एचपीसीएल और बीपीसीएल पेट्रोकेमिकल प्लांट से निकलने वाला घातक हवा की कम करने के लिए विदेशी आधुनिक मशीन लगाया जाएगा।
यह भी पढ़े- राज्य सरकार का बॉम्बे हाईकोर्ट में जवाब , माहुल में रहने की स्थिती का कर रहै है सुधार!