बढ़ते प्रदुषण को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय के विरोध में प्लास्टिक उत्पादकों और विक्रेताओं द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्लास्टिक पर लगे बैन को हटाने से इंकार कर दिया है।
कोर्ट ने लगाई थी फटकार
बीते गुरुवार को प्लास्टिक बंदी को लेकर बड़ी संख्या में प्लास्टिक व्यापारी कोर्ट पहुंच कर हंगामा किया था, और कोर्ट के कामकाज को प्रभावित करने की कोशिश की थी। जिसके बाद याचिकाकर्ताओं और वकीलों को आड़े हाथ लेते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर आपको लगता है कि इस तरह भीड़ लेकर आने से अदालत के निर्णय को प्रभावित किया जा सकता है तो वो गलत है। यही नहीं कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि जब तक हंगामा शांत नहीं होता तब तक सुनवाई की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ेगी।
'व्यापारियों को विश्वास में नहीं लिया गया था'
प्लास्टिक बंदी के विरोध में तर्क देते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील ने सफाई दी थी कि इस निर्णय के पहले व्यापारियों की विश्वास में नहीं लिया गया था। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुनते हुए कहा कि अगर आपको आपत्ति है तो आप पहले राज्य सरकार के पास जाइये, अगर वहां कुछ समाधान नहीं निकलता है तो कोर्ट के दरवाजे खुले हैं।
प्लास्टिक पर लगाई रोक
आपको बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि इस तरह की प्लास्टिक न केवल पर्यावरण के लिए नुकसादनेह है बल्कि यह इंसानों और जानवरों के लिए किसी खतरे से कम नहीं हैं। शुक्रवार की सुनवाई में जस्टिस अभय ओक और रियाज छागला की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए प्लास्टिक बैन पर रोक से इंकार कर दिया।
तीन महीने नहीं होगी दंडात्मक कार्रवाई
गौरतलब है कि सरकार द्वारा पहले प्लास्टिक बैन के बाद प्रतिबंधित पदार्थो के डिस्पोजल के लिए एक महीने की समयसीमा तय की थी। जिसे कोर्ट ने बढ़ाकर 3 महीने कर दी है। तब तक किसी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती।