भारत खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है, इसलिए मूंगफली, सब्जी, सोया, सूरजमुखी और ताड़ के तेल की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। समझा जा रहा है कि यह भी कोरोना(Coronavirus) काल में आयात में आई गिरावट का नतीजा है। कोरोना से जहां अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, वहीं देश भर में लोग इस समय विभिन्न वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से जूझ रहे हैं। इसके अलावा, खाद्य तेल की कीमतें 11 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। सोमवार को खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने संबंधित पक्षों के साथ बैठक की और राज्यों और खाद्य तेल उद्योग को तेल की कीमतों में कमी लाने के लिए तत्काल प्रयास करने का निर्देश दिया।
2019-2020 के नवंबर-अक्टूबर के दौरान, भारत ने 85 लाख टन वनस्पति तेल का उत्पादन किया और 13.5 मीट्रिक टन का आयात किया। इसने 7 मीट्रिक टन पाम तेल, 3.5 मीट्रिक टन सोयाबीन तेल और 2.5 मीट्रिक टन सूरजमुखी तेल का आयात किया।
देश के खाद्य तेल की मांग का लगभग 60 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है, इसलिए घरेलू तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय दरों से निर्धारित होती हैं। मलेशियाई बाजार में कच्चे पाम तेल की कीमत 25 मई को 3,890 रिंगित प्रति टन (स्थानीय मुद्रा) थी। एक साल पहले यह 2281 रिंगित था। 24 मई को सीबीओटी में सोयाबीन तेल की कीमत 5559.51 प्रति टन थी। पिछले साल इसी अवधि में यह 306.16 था।
मई में पाम तेल सबसे ज्यादा 131.69 रुपये प्रति किलो चढ़ा था। यह पिछले साल की समान अवधि के दौरान 88.27 रुपये का 11 साल का उच्च स्तर है। सरसों तेल का खुदरा भाव मई में 164.44 पैसे था, जो मई में 118.25 पैसे था। मई में मूंगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की कीमतों में 19 से 52 फीसदी की तेजी आई।
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