बीएमसी ने अपनी महत्वाकांक्षी बिजली उत्पादन परियोजना शुरू की है और देवनार कत्तलखाने में 15,000 कि.ग्रा के जैविक अपशिष्टों से हर रोज बिजली उत्पन्न करेगी। इतना ही नहीं 40 दिनों में यहाँ करीब 1000 यूनिट बिजली पैदा कर योजना का श्रीगणेश भी कर दिया गया है।
बीएमसी ने देवनार डंपिंग ग्राउंड में फेंकने वाले कचरे से बिजली पैदा करने का निर्णय लिया था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया जा सका। लेकिन बीएमसी ने देवनार पशुवध और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) की तकनीकी सहायता के साथ बिजली परियोजना को लागू कर रहा है। परियोजना 5 मार्च को शुरू की गई थी और लगभग 7-8 हजार किलोग्राम बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट पदार्थों से प्रतिदिन बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। यही नहीं बिजली के साथ साथ यहां 400 से 500 घन मीटर मीथेन गैस भी पैदा की जा रही हैं जिससे जनरेटर लगभग 40 यूनिट बिजली उत्पन्न कर सकते हैं।
बीएमसी की योजना है कि वह भविष्य में यहां हर दिन 20,000 किलो अपशिष्ट कचरे को संसोधित कर बिजली पैदा करना है और देवनार पशुवध गृह को को कचरा मुक्त बनाना है।
इस बाबत देवनार पशुवध के महाप्रबंधक डॉ. योगेश शेट्टे ने बताया कि पिछले 40 दिनों में, इस इकाई में करीब 1000 यूनिट बिजली उत्पन्न हो चुकी है जो मनपा आयुक्त अजय मेहता के आदेश पर अतिरिक्त आयुक्त कुंदन और सहायक नगरपालिका आयुक्त प्रकाश पाटिल के मार्गदर्शन में किया गया है। डॉ. शेट्टी ने विश्वास व्यक्त किया कि यह संयंत्र जल्द ही अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करेगा और विद्युत उत्पादन को प्रति दिन 75 इकाइयों तक बढ़ाया जाएगा।
यहां यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि देवनार वधशाला में जेनरेटर से पैदा की गई बिजली इस्तेमाल की जाती है।