मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में सड़क पर रहने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए राज्य में 'फिरते पाठक' योजना के नियमित कार्यान्वयन को मंजूरी दी गई। महाराष्ट्र टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस फैसले से राज्य भर में सड़कों पर रहने वाले हजारों बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और एक नया जीवन मिलेगा और यह योजना बाल अधिकारों की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
31 मोबाइल टीमें होगी शुरू
कुल 31 मोबाइल टीमें शुरू की जाएंगी, जिनमें राज्य के 29 नगर निगमों में एक-एक और बीएमसी के पूर्वी और पश्चिमी उपनगरों के लिए एक-एक टीम होगी। आने वाले समय में इसका दायरा पूरे राज्य में बढ़ाया जाएगा।इस योजना का उद्देश्य बेघर, अकेले, अनाथ और उपेक्षित बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाना, उन्हें शिक्षा, चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना तथा उनके व्यापक पुनर्वास के लिए आवश्यक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है।
प्रारंभ में, यह योजना मिशन वात्सल्य के तहत छह जिलों में पायलट आधार पर शुरू की गई थी: मुंबई शहर, मुंबई उपनगर, ठाणे, पुणे, नागपुर और नासिक। प्राप्त सकारात्मक प्रतिक्रिया को देखते हुए, इस योजना को कार्यान्वयन हेतु अनुमोदित किया गया।
यह सेवा इस योजना के अंतर्गत चयनित गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से, विशेषकर बच्चों के अनुकूल बसों और वैन के माध्यम से प्रदान की जाएगी। इस वैन में चार लोगों की टीम होगी: एक परामर्शदाता, शिक्षक, महिला कर्मचारी, ड्राइवर और देखभालकर्ता। बच्चों की सामाजिक जांच रिपोर्ट तैयार की जाएगी और उसके आधार पर उनकी आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत पुनर्वास योजना तैयार की जाएगी।
यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे कि बच्चों को उनकी आयु के अनुसार आंगनवाड़ी और स्कूलों में प्रवेश दिया जाए, उनकी स्वास्थ्य जांच की जाए तथा उन्हें टीकाकरण, पोषण, दवा, स्वच्छता संबंधी आदतें और व्यसन मुक्ति उपचार मिले। साथ ही, वे विभिन्न कला और शिक्षा गतिविधियों में भी शामिल होंगे।
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