विभिन्न धर्मों या जातियों के बीच विवाह करने वाले जोड़ों पर हमलों की घटनाओं में वृद्धि हुई है। इसके चलते राज्य (महाराष्ट्र) सरकार ने मंगलवार को ऐसे जोड़ों की सुरक्षा के लिए नौ सूत्री मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की। यह एसओपी 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों पर जारी किया गया है। (Government issues SOP to protect inter-caste, inter-religious couples)
विशेष प्रकोष्ठ
जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक या पुलिस आयुक्त के अधीन एक विशेष प्रकोष्ठ भी स्थापित किया जाएगा। ऐसी सुविधा की जरूरत वाले दम्पतियों को एक सुरक्षित घर उपलब्ध कराया जाएगा; इसके अलावा पुलिस खतरे में पड़े जोड़ों को सुरक्षा भी मुहैया कराएगी।
इस SOP में राज्य हेल्पलाइन, एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया, दम्पतियों को मुफ्त कानूनी सहायता, जिला स्तरीय समीक्षा समिति और सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करना शामिल है। विशेष जिला स्तरीय प्रकोष्ठ के मामले में, एक जिला समाज कल्याण अधिकारी और एक जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी इसके सदस्य होंगे। यह कक्ष दम्पति की आयु की पुष्टि करेगा।
दंपत्ति नही होने चाहिए नाबालिग
जब यह पुष्टि हो जाएगी कि दोनों में से कोई भी नाबालिग नहीं है,तो उनकी शिकायत के आधार पर जांच शुरू की जाएगी। यदि आवश्यक हो या दम्पति द्वारा अनुरोध किया जाए तो उन्हें शुरू में एक महीने के लिए मामूली शुल्क पर सुरक्षित घर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
यह सुविधा छह महीने तक बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा, इस सुरक्षित घर को पुलिस सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी तथा यदि दम्पति अनुरोध करेंगे तो उन्हें पुलिस सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी।जिला कलेक्टर एक सुरक्षित घर की व्यवस्था करेंगे, जो किसी सरकारी गेस्टहाउस का कमरा हो सकता है, कोई ऐसा आवास हो सकता है जिसमें कोई कर्मचारी न हो, या कोई किराए का निजी घर हो सकता है।
सुरक्षित घर की लागत का भुगतान सामाजिक न्याय विभाग के कोष से किया जाएगा। दम्पति को बिना किसी दबाव के विवाह की स्व-घोषणा प्रस्तुत करनी होगी तथा आयु का प्रमाण भी देना होगा।
यदि दम्पति या उनमें से कोई नाबालिग है, तो पुलिस बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को सूचित करेगी और उन्हें सुरक्षा प्रदान करेगी।शिकायतों के लिए हेल्पलाइन नम्बर 112 उपलब्ध कराया जाएगा। अंतर्जातीय या अंतरधार्मिक विवाह के बारे में हेल्पलाइन को दी गई कोई भी सूचना दम्पतियों की सुरक्षा के लिए गोपनीय रखी जाएगी।
यदि कोई दम्पति यह शिकायत लेकर पुलिस थाने आता है कि उसकी जान को खतरा है तो उसे तत्काल सुरक्षा प्रदान की जाएगी। पुलिस एफआईआर दर्ज करेगी और एक वरिष्ठ अधिकारी एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।जिला कलेक्टर के अधीन एक जिला स्तरीय समीक्षा समिति होगी। पुलिस महानिदेशक राज्य सरकार को त्रैमासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
यह भी पढ़ें- 3 जून तक मुंबई में ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध