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रोजी रोटी की चिंता, 2 महीने में 28 लाख प्रवासी मजदूर लौटे मुंबई

काम धंदा बंद होने के बाद भुखमरी सामने आता देख डरे-सहमे प्रवासी मजदूर अपने-अपने गांव के लिए परिवार के साथ रवाना हो गए। जिसके बाद यात्रियों की संख्या को देखते हुए रेलवे ने भी स्पेशल श्रमिक ट्रेनें चलानी शुरू की।

रोजी रोटी की चिंता, 2 महीने में 28 लाख प्रवासी मजदूर लौटे मुंबई
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मुंबई में कोरोना वायरस (coronavirus) के मामलों में कमी आने के बाद अब कई प्रवासी मजदूर (migrant workers) फिर से मुंबई (mumbai) लौटने लगे हैं।

आंकड़ों के अनुसार, मई और जून इन दो महीनों में 28 लाख यात्री मुंबई वापस लौटे हैं। इनमें से ज्यादातर यात्री मध्य रेलवे (central railway) से पहुंचे हैं।

गौरतलब है कि फरवरी में कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद हजारों प्रवासी कामगार अपने गृहनगर लौट गए थे। 

फरवरी में कोरोना के प्रकोप के बाद से, राज्य सरकार ने मार्च के अंत से मुंबई सहित राज्यव्यापी प्रतिबंध लगा दिए थे।

काम धंदा बंद होने के बाद भुखमरी सामने आता देख डरे-सहमे प्रवासी मजदूर अपने-अपने गांव के लिए परिवार के साथ रवाना हो गए। जिसके बाद यात्रियों की संख्या को देखते हुए रेलवे ने भी स्पेशल श्रमिक ट्रेनें (shramik special train) चलानी शुरू की। लेकिन बाद में जब लॉकडाउन (lockdown) में ढील दिया गया तो बिगड़ता देश का आर्थिक चक्र फिर से शुरू होने के संकेत देने लगा।

मार्च और अप्रैल के महीनों में गांवों से मुंबई आने वाले प्रवासियों की संख्या कम थी। लेकिन मई के बाद से यह संख्या लगातार बढ़ रही है। मुंबई के अलावा, ये प्रवासी यात्री महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में भी जा रहे हैं।

मध्य रेलवे में प्रतिदिन उत्तर और दक्षिण से सीएसएमटी, एलटीटी, ठाणे, कल्याण के लिए ट्रेनें आती हैं। ये ट्रेन दरभंगा, वाराणसी, गोवा, उत्तराखंड, केरल, भुवनेश्वर, हैदराबाद, बैंगलोर और पश्चिम रेलवे पर जोधपुर, अमृतसर, गुजरात, नई दिल्ली, गोरखपुर, मुजफ्फरपुर आदि से मुंबई सेंट्रल, बांद्रा टर्मिनस तक पहुंचती है।

मई और जून इन दो महीनों में पश्चिम रेलवे की ट्रेनों से कुल 7 लाख 8 हजार 956 प्रवासी मजदूर मुंबई पहुंचे हैं, जबकि 28 लाख 26 हजार 226 प्रवासी मजदूर मध्य रेलवे की ट्रेनों से महाराष्ट्र पहुंचे हैं। अब तक मुंबई मंडल में करीब 21 लाख यात्री आ चुके हैं। मई में पश्चिम रेलवे पर मुंबई सेक्शन में हर दिन 15,102 यात्री आ रहे थे और जून में 24 हजार यात्री आ रहे थे।

कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण केरल, गोवा, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड जैसे संवेदनशील इलाकों से ट्रेन से महाराष्ट्र पहुंचने वाले यात्रियों की टेस्टिंग अनिवार्य कर दी गई। यह फैसला 17 अप्रैल 2021 को लिया गया था।  इसके बाद 1 मई को उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को भी इस सूची में जोड़ा गया।

इस संवेदनशील क्षेत्र से महाराष्ट्र (maharashtra) आने वाले यात्रियों को यात्रा के 48 घंटे के भीतर कोरोना टेस्ट कराना जरूरी था।  संदिग्ध यात्रियों का RTPCR या एंटीजन के लिए परीक्षण किया जाता है।  फिर भी बड़ी संख्या में यात्री आते रहे। संदिग्ध यात्रियों का इलाज RTPCR या एंटीजन से किया जाता है।  इसके अलावा महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग भी की गई।

इस संवेदनशील क्षेत्र से महाराष्ट्र आने वाले यात्रियों को यात्रा के 48 घंटे के भीतर कोरोना टेस्ट कराना जरूरी था। संदिग्ध यात्रियों का RTPCR या एंटीजन के लिए परीक्षण किया जाता है।  फिर भी बड़ी संख्या में यात्री आते रहे।  संदिग्ध यात्रियों का इलाज RTPCR या एंटीजन से किया जाता है।  इसके अलावा महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग भी की गई।

यह भी पढ़ें: Covid19 pandemic: शहरों से फिर पलायन करते प्रवासी श्रमिक मजदूर, पिछले एक साल में कुछ नहीं बदला

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