बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई में एलिफिंस्टन स्टेशन भगदड़ में मारे गए लोगों के माथे पर नंबर लिखने के मामले को गलत करार दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि मृत शरीर का सम्मान किया जाना चाहिए। गुरुवार को एलफिंस्टन हादसे के विरोध में दाखिल की गयी याचिका पर सुनवाई चल रही थी। इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार और सम्बंधित लोगों को कड़ी फटकार लगायी। कोर्ट ने कहा कि यह कृत्य काफी घिनौना है। सरकार इतनी असंवेदनशील कैसे हो सकती है? कोर्ट ने आगे कहा कि मृतकों के माथे पर नंबर लिखने का काम किसके आदेश पर हुआ?
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आपको बता दें कि मृतकों के माथे पर नंबर लिखने के लिए केईएम अस्पताल प्रशासन और पुलिस दोनों पर उंगली उठ रही थी। राज्य सरकार ने इस मामले में डॉक्टरों को दोषी माना। यही नहीं इस मामले में अस्पताल को नोटिस भी भेजा गया है। कोर्ट ने रेलवे को भी खरी खरी सुनते हुए कहा कि क्या आप भविष्य में ऐसी घटना का सामना करने के लिए तैयार हैं? अदालत ने रेलवे की आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए सिस्टम को और भी सक्षम करने की आवश्यकता पर बल दिया।
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गौरतलब है कि 29 सितंबर 2017 को एलफिन्स्टन स्टेशन पर भगदड़ में 23 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता प्रदीप भालेकर ने मुंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी।