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सांताक्रुज में विकासक की मनमानी के खिलाफ रहिवासी पहुचे कोर्ट, मिली बड़ी कामयाबी

कोर्ट ने फिलहाल प्रोजेक्ट पर स्टे लगा दिया है

सांताक्रुज में विकासक की मनमानी के खिलाफ रहिवासी पहुचे कोर्ट, मिली बड़ी कामयाबी
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सांताक्रुज इलाके में पुनर्विकास समझौतों के मामले में विकासक की ज्यादती कई लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गयी है। RERA नए खरीदारों के साथ-साथ पुनर्विकास के लिए जाने वाली इमारतों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है,हालांकि इसके बाद भी अभी भी कई विकासक अपनी मनमानी करते है। 

सांताक्रुज इलाके में प्रभा सदन नाम की इमारत में रहनेवाले रहिवासी इसी तरह विकासक की ज्यादती के शिकार हुए है। इमारत के पुनर्विकास के लिए  15 मई  2013 के दिन इमारत के रहिवासियो और अंकुर शुभम डेवलपर्स के साथ एक करार किया गया। हालांकि रहिवासियो का कहना है कि समय बीतने के साथ ही विकासक ने समझौते में किये वादों को पूरा नही किया।  करार होने के कई सालों  के बाद भी अभी तक इमारत में रहने वालों को कब्जा (possession) नही मिला है। आलम ये है कि कई निवासियों को तो अपने घर के इंतज़ार में अपनी जान तक गवानी पड़ी है।  

निवासियों को 3 साल से अधिक समय के लिए किराए का भुगतान नहीं किया गया है जिससे उनकी कठिनाइयां और बढ़ गई।  निवासियों का कहना है कि सदस्यों की सहमति के बिना डेवलपर ने स्पष्ट रूप से ग्राउंड फ्लोर पर वाणिज्यिक  (Commercial) परिसर के लिए योजनाओं को पारित कर दिया जो कि पुनर्विकास के लिए किए गए समझौते के खिलाफ था।


प्रभा सदन के निवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील आदित्य भट्ट का कहना है कि "  15 मई 2013 को अंकुर शुभम डेवलपर्स के साथ प्रभा सदन, सांताक्रूज़ के सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित समझौते में, यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि इमारत का इस्तेमाल  केवल आवासीय (Residential)  उद्देश्य के लिए होगा और किसी भी व्यावसायिक गतिविधि की अनुमति नहीं होगी। हालांकि इसके बाद भी विकासक जयेश शाह ने व्यावसायिक उपयोग के लिए परिसर का एक निश्चित भाग आवंटित किया" 


रहिवासी गिरीश पारेख का कहना है कि" 2013 में समझौता होने के बाद से हम लगातार अपने  घरों के इंतज़ार में थे, बावजूद इसके विकासक हमारी किसी भी बात पर ध्यान नही दे रहे थे, विकासक जयेश शाह  की मनमानी के खिलाफ हमने कुछ महीने पहले ही कोर्ट का दरवाजा खटखटाया , कोर्ट से हमे बड़ी राहत मिली है और फिलहाल  अभी इस प्रोजेक्ट पर स्टे लग गया है"


हलांकि जब हमने इस मामले में विकासक जयेश शाह का पक्ष जानने की कोशिश की तो उन्होंने किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया। 

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