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साकीनाका आग हादसा : जिंदा बचे लोगों की बातें सुन कर रोंगटे खड़े हो जाएंगे

कुछ लोग भागने में सफल रहे लेकिन कुछ लोग असमय काल के गाल में समा गए।

साकीनाका आग हादसा :  जिंदा बचे लोगों की बातें सुन कर रोंगटे खड़े हो जाएंगे
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साकीनाका में लगी आग की चपेट में आने से 12 लोगों की मौत हो गयी। सभी मृतक उसी नमकीन की दूकान में काम करते थे जिसमें आग लगी थी। बताया जाता है कि यह आग रात में लगी थी जब सभी लोग सो रहे थे। कुछ लोग भागने में सफल रहे लेकिन कुछ लोग असमय काल के गाल में समा गए। मृतकों में अधिकांश यूपी से थे जो यहां काम करके अपने परिवार वालों का पेट भरने के लिए आये थे और हर महीने कुछ रूपये अपने गांव भेज देते थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि इसी दुकान में उनकी भी चिता बन जाएगी।

जो लोग इस हादसे में जिंदा बच गए वे अपने आप को बहुत ही खुशनसीब मानते हैं, लेकिन इन्ही बचे हुए में से कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने अपने दोस्तों, भाई को इसी आग में अपनी आंख के सामने जिंदा जलते हुए देखा और चाह कर भी कुछ नहीं कर पाएं।


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'मेरा भाई मेरे सामने जिंदा जल गया'

इन्ही में से एक हैं अखिलेश तिवारी, अखिलेश कहते हैं कि जब आग लगी तब लगभग सुबह के 3 बज रहे थे और उस समय सभी सो रहे थे। अचानक बड़ी तेजी से धुंआ उठा, तब मैं जाग गया और डर कर शोर मचाते हुए बाहर भाग गया। अखिलेश के अनुसार जब वो बाहर भागे तब उन्हें कुछ याद नहीं आया, वे गिर पड़े उन्हें चोटें भी आयीं, लेकिन जब वो बाहर पहुंचे तो उन्हें अपने भाई महेश की याद आई जो उसी आग में फंसे गए थे। अखिलेश कहते हैं कि मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पाया क्योंकि तब तक आग विकराल रूप ले चुकी थी और मेरा भाई मेरे सामने जिंदा जल गया।


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मौत खींच लाई 18 वर्षीय सोनू को 

इस आग से यूपी के गोरखपुर का रहने वाला 18 वर्षीय सोनू गुप्ता की भी मौत हो गयी। सोनू का परिवार कल्याण रहता है उसका बड़ा अर्जुन रोते हुए कहता है कि रविवार शाम को ही सोनू कल्याण आया था और उसे मैंने कहा कि वह यहीं रुके और यहीं काम करके कमाए,उसे उतनी दूर जाने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन वह माना नहीं। अर्जुन आगे कहता है कि वह साकीनाका काम पर से रोज कल्याण अपने घर आता और सुबह फिर जाता था, लेकिन रविवार को वह रात को कल्याण से साकीनाका चला गया और सुबह इस घटना की जानकारी मुझे मिली।


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'लाशो में अपने बेटो को पहचानना किसी कयामत से कम नहीं'

इस आग ने मिर्जा परिवार के दो भाइयों की भी जिंदगी लील ली। इनका नाम नईम मिर्जा (18) और वसिम मिर्जा(21)। नईम के पिता नसीम की आँखों से पानी की तरह झर-झर आंसू बहते हैं। रोते हुए रुंधे गले से कहते हैं कि जब सोमवार सुबह उन्हें फोन आया तो जैसे उनका कलेजा फट जायेगा। वे कहते हैं कि अभी एक साल पहले ही वसिम की शादी हुयी थी। नसीम कहते हैं कि वे दोंनो भाई पिछले 5-6 महीनो से साथ में ही काम करते थे। नसीम के अनुसार जब वे दुकान पहुंचे तो उन्हें अस्पताल भेज दिया गया। वहां रखी लाशो में से उन्हें अपने बेटे को पहचानने को कहा गया। बकौल नसीम,उनके लिए यह किसी कयामत से कम नहीं था। किसी तरह से उन्होंने अपने बेटो की पहचान की। 




 

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