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ड्रोन से हो रहा झोपड़ों का सर्वे,भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी?


ड्रोन से हो रहा झोपड़ों का सर्वे,भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी?
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झोपड़पट्टी पुनर्विकास योजना (एसआरए) को हमेशा से ही पात्र,अपात्र, बोगस झोपड़े, झूठे सर्वे जैसी कई समस्याओं को लेकर जाना जाता है। ऐसे भी मामले मिले हैं कि रातों रात झोपड़े बनाकर अपात्र झोपड़े धारक खड़े होकर अपना दावा ठोंक रहे हो, या फिर बिल्डरों ने अपने झूठे लोगों के नाम भी पात्रता की सूची में डाल दिया हो। ऐसी तमाम दुश्वारियों को लेकर एसआरए प्रशासन ने 'डोर टू डोर' बायोमीट्रिक सर्वे कराना शुरू किया, लेकिन यह प्रकिया काफी धीमी होने के कारण प्रशासन को कोई खास सफलता नहीं मिली। सर्वेक्षण का काम को गति मिले और बोगस झोपडो और झोपड़ी धारकों पर लगाम भी लगे इसीलिए सरकार ने अब स्लम इलाकों का सर्वे ड्रोन के माध्यम से करवा रही है।


बायोमीट्रिक का काम बेहद ही धीमा

एसआरए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक कपूर ने बताया कि पिछले साल एसआरए ने डोर टू डोर बायोमीट्रिक सर्वे का काम शुरू किया था। उसके अनुसार अब तक मात्र 1.95 लाख झोपड़ो का काम ही पूरा हुआ है जबकि अभी भी लाखो झोपड़ों के सर्वे का काम बाकी हैं। इस दौरान बायोमीट्रिक सर्वे के दौरान कई ऐसे भी मामले सामने आए जिसमें लोग एक ही घरों में दो दरवाजे लगा कर एक की जगह दो घरों के लाभ उठाना चाह रहे थे, लेकिन अब इस तरह के फ्रॉड पर रोक लगाने के लिए ही स्लम इलाको का सर्वे करा कर उंनका नक्शा तैयार किया जाएगा। 


सर्वे का सटीक रिजल्ट

एसआरए अधिकारियों का दावा है कि बैटरी ऑपरेटेड ड्रोन की सहायता से सर्वे का काम होने के बाद तकनीकी की मदद से पांच अलग अलग पद्धति से झोपड़ों की फोटो ली जाती हैं, जिससे झोपड़ों के सर्वे एकदम सटीक रिजल्ट देते हैं। यही नहीं इस तकनीकी से सर्वे के काम भी तेजी आएगी।


बिल्डरों को झटका

खास बात यह है कि नकली झोपड़ो और झोपड़ो धारक पर इससे लगाम लगेगी, यही नहीं बिल्डरों के लिए भी यह एक झटके समान हैं जो अवैध पत्रों की सूची के आधार पर सरकार से अधिक एफएसआई प्राप्त कर लेते थे।





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