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मछली ने बनाया मछुआरे को बनाया लखपती


मछली ने बनाया मछुआरे को बनाया लखपती
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कहते हैं ऊपरवाला जब भी देता है छप्पर फाड़ के देता है, कब किसकी किस्मत चमका दें कोई कह नहीं सकता। मुंबई से सटे पालघर में रहने वाला मछुआरा महेश के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। मात्र कुछ मिनट में ही वह लखपति बना गया। महेश जब अपने भाई को लेकर समुद्र में मछली पकड़ने गया तो उसके जाल में एक बेहद ही दुर्लभ और कीमती मछली फंस गयी। जिसे एक व्यापारी ने 5.5 लाख रूपये में खरीद लिया।


आधे घंटे में बन गया लखपति 

सूत्रों के मुताबिक रोज की तरह महेश मेहर अपने भाई भरत मेहर और छोटी से नाव को लेकर समुद्र में मछली पकड़ने गया था। लेकिन जल्द ही इनके हाथ एक बड़ी मछली लग गयी। जब इन्होने जाल बाहर निकाला तो इनके ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। 30 किलो वजनी यह एक खास किस्म की 'घोल' प्रजाति की मछली थी जो बेहद ही दुर्लभ और कीमती होती है। जैसे ही लोगों को पता चला कि महेश ने घोल मछली पकड़ी है व्यापारियों की भीड़ लग गयी। अंत में बोली लगा कर एक व्यापारी ने महेश से यह मछली 5.5 लाख रूपये में खरद ली।

स्थानीय मछुआरों ने इसकी खासियत बताया कि घोल मछली कितनी भी सस्ती बाइक कम से कम 8,000 से 10,000 रुपए में बिक ही जाती है। इसके पहले भी एक मछुआरे ने घोल मछली पकड़ी थी जो 5.16 लाख रुपये में बिकी थी।

क्यों है इतनी महंगी?

बताया जाता है घोल मछली को चमत्कारी औषधीय गुणों के कारण इसे 'सोने के दिल वाली मछली' भी कहा जाता है। यह खाने में बेहद स्वादिष्ट तो होती ही है साथ ही इससे दवाइयां भी बनती है। विशेषज्ञों के अनुसार घोल मछली की स्किन में उच्च गुणवत्ता वाला कोलेजन (मज्जा) पाया जाता है। इस कोलेजन को दवाओं के अलावा क्रियाशील आहार, कॉस्मेटिक उत्पादों को बनाने में प्रयोग किया जाता है। यही नहीं इस मछली के पंखों से दवा बनाने वाली कंपनियां घुलनशील सिलाई और वाइन शुद्धि के लिए इस्तेमाल करती हैं। यही कारण है कि इस मछली की सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया, हांगकांग और जापान में काफी मांग है।

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