चिकित्सा क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए क्लिनिकल एस्टाब्लिशमेंट एक्ट पर सरकार लापरवाह दिख रही है। साल 2012 में केंद्र सरकार ने मरिजों की सुविधा देने और कम पैसों में इलाज देने के लिए क्लिनिकल एस्टाब्लिशमेंट एक्ट की शुरुआत की थी। जिसपर पिछलें पांच सालों से राज्य सरकार ने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए है।
पांच साल की उदासिनता के बाद सरकरा को अब जाकर कही इस एक्ट के बारें में ख्याल आया। राज्य सरकार ने इस एक्ट को लागू करने के लिए एक पैनल बनाया है जिससे इस एक्ट से जुड़ी बातों पर अध्ययन करने को कहा है।
स्वास्थ कार्यकर्ता उमेश खाके का कहना है की राज्य सरकार ने इस एक्ट को सिरियस नहीं लिया है। जिसके कारण इसे लागू करने में देरी हुई।