कांदिवली फर्जी कोरोना वैक्सीन (mumbai vaccination scam) मामले में मुंबई पुलिस (mumbai police) ने सोमवार 21 जून को तीसरी FIR दर्ज की। कांदिवली और वर्सोवा के बाद अब खार थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पुलिस के अनुसार, आरोपी राजेश पांडे, संजय गुप्ता और चार अन्य ने झूठी साजिश रची और लोगों को बताया कि, यह टीकाकरण कैंप कोकिलाबेन अस्पताल (kokilaben hospital) की तरफ से आयोजित किया गया है। उन्होंने कोविशील्ड (covishield) के नाम से कुछ मिलावटी तरल पदार्थ लगाया और लोगों के जीवन को खतरे में डाल दिया। इन सभी पर आईपीसी की धारा 420, 268, 270, 274, 275, 276, 188, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
हालांकि राजेश पांडे अभी फरार है लेकिन उसने अग्रिम जमानत के लिए सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
इसके अलावा, अब यह भी पता चला है कि, कांदिवली पुलिस को एक ऐसे डॉक्टर का सुराग मिला है जिसे इस रैकेट के किंगपिन बताया जा रहा है।
पुलिस का कहना है कि, इस डॉक्टर का नाम मनीष त्रिपाठी है। इस डॉक्टर ने न केवल नकली टीके की आपूर्ति की बल्कि अपने पैरामेडिक्स प्रशिक्षण संस्थान से छात्रों को कुछ फर्जी शिविरों में काम करने के लिए भी भेजा।
पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि, त्रिपाठी ने करीम अली को वैक्सीन की शीशियां दी थीं। जिसने उन्हें कैंप में सप्लाई किया था। हालांकि करीम इस मामले में गिरफ्तार होने वाला पांचवा आरोपी है।
अधिकारियों के अनुसार, मुख्य आरोपी महेंद्र सिंह ने जिसने सभी शिविरों से पैसा लिया था, वह पनवेल में छिपा था, यही नहीं उसने अपना फोन भी तोड़ दिया था।
रेसीडेंसी हाउसिंग सोसायटियों में वैक्सीन कैंप आयोजित किए गए थे। हीरानंदानी सोसाइटी के निवासियों ने दावा किया कि उन्हें नकली टीकाकरण प्रमाण पत्र के साथ नकली वैक्सीन लगाई गई थी। साथ ही इस गिरोह के लोगों ने चार लाख रुपये की ठगी भी की थी।
इस बारे में कोविशील्ड निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (serum institute of india) से भी जवाब मांगा गया है कि क्या उनकी तरफ से इन फर्जी शिविरों में टीके भेजे गए थे।
माना जाता है कि इस गिरोह ने परेल, अंधेरी, वर्सोवा, कांदिवली, बोरीवली और ठाणे में दो स्थानों पर भी फर्जी टीकाकरण शिविर आयोजित किए थे।
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