क्या है सुसाइड नोट में
पायल ने अपने सुसाइड नोट की शुरुआत अपने मां-बाप से माफ़ी माँगते हुए की है। उसने लिखा है कि मां-पिताजी मुझे माफ़ करो, मैं यह कदम उठाने जा रही हूँ। मुझे मालूम है कि यह आप दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण है, आपने मेरे लिए काफी दुःख झेले हैं। अब मुझसे सहन नहीं होता, लेकिन अब एक मिनट मैं इन लोगों के साथ नहीं रह सकती। हम दोनों पिछले एक साल से इस आशा में यह सब सहन कर रहे थे कि अब खत्म हो जाएगा, अब सब सही हो जाएगा। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि यह कभी खत्म होने वाला नहीं है। अब मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। मैंने कई बार सब सही करने की कोशिश की लेकिन हर बार मुझे ही दोषी बनाया गया। मैं अकेली हो गयी हूँ, डिपार्टमेंट में भी कोई मदद करने वाला नहीं है। मैं इसीलिए डॉक्टर बनी थी, क्योंकि यह मेरे बचपन का सपना था। मैंने इस कॉलेज में इसीलिए एडमिशन लिया था, ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूं, लेकिन मेरा यह सपना पूरा नहीं हुआ।
पायल आगे लिखती है कि, शुरुआत में मैंने और स्नेहल (पायल की दोस्त) ने सब कुछ सहन किया, किसी से कोई शिकायत नहीं की। लेकिन दुःख इतना बढ़ गया कि सहन होना मुश्किल हो गया। मेरा काम करना मुश्किल हो रहा था। मुझे जान बुझ कर PMC वॉर्ड में भेजा जाता था, इसीलिए मैं गाइनों की पढ़ाई नहीं कर पा रही थी। इसके बाद भी मुझे तीन हफ्ते तक लेबर रूम में नहीं भेजा गया। क्योंकि उन्हें नहीं लगता कि मैं ऐसा नहीं कर पाउंगी। ओपीडी के दौरान मुझे लेबर रूम से दूर रहने को कहा जाता था। वे मुझे मरीजों को देखने नहीं देते, मुझे सिर्फ कंप्यूटर पर एंट्री करने का कहा जाता था जो कि एक क्लर्क का काम है। यह सब करने से, यह स्थिति नहीं बदल रही थी, और मैं अपमानित महसूस कर रही थी। यहां का वातावरण सीखने के लिए अनुकूल नहीं था, मैंने सभी आशा भी छोड़ दिया है।
अब सवाल उठता है कि क्या सही में पायल ने यह सुसाइड नोट लिखा है। इसकी पुष्टि के लिए पुलिस ने यह सुसाइड नोट पुणे के राइटिंग एक्सपर्ट के पास भेजा था। वहां से जो रिपोर्ट आई उसके मुताबिक यह नोट पायल के द्वारा ही लिखा गया था।
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