फर्जी कंपनियों की मदद से केंद्र सरकार को चुना लगानेवाले तीन लोगों को वस्तू व सेवा कर (GST) विभाग ने गिरफ्तार किया। आरोपियों ने इन फर्जी कंपनियों में लेनदेन दिखाकर 100 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया। जीएसटी अधिकारियों ने संभावना व्यक्त की है कि यह 120 करोड़ रुपये का घोटाला है।
नोटबंदी के बाद सरकार द्वारा विभिन्न चीजों पर जीएसटी लगाया गया। व्यापार कर को बचाने के लिए, कई बड़े व्यापारियों ने फर्जी कंपनियों को खोलकर अपने व्यापारिक लेनदेन को दिखाते हुए फर्जी कंपनियों की शुरुआत की। इस मामले में, राकेश कुमार जैन (46), विपुल जैन (39) और मनोज कुमार शर्मा (49) नाम के तीनों आरोपियों ने सरकार को नकली कंपनियों के जरिए धोखा दिया। इस पूरे कांड में राकेश कुमार जैन मुख्य आरोपी हैं और बाकी के दो उनके कर्मचारी हैं। जैन ने इन दोनों के नाम पर फर्जी कंपनियां बनाई हैं।
इन सभी लेन-देन के लिए सात कंपनियों का इस्तेमाल किया गया था। उन कंपनियों ने एक दूसरे के साथ धागे खरीदना और बेचना दिखाया है। इस संबंध में, जीएसटी अधिकारी ने आरोपियों की कंपनियों में एक खोज अभियान चलाया। जांच के बाद इस पूरे गोरखधंधे का खुलासा हुआ। इन लेनदेन को कंपनी के क्रेडिट को बढ़ाने के लिए दिखाया गया था।
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