सीएसटी - जेएनयू (जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी – दिल्ली) में विद्यार्थी मुथ्रुक्रिशन की आत्महत्या के बाद से जातिवाद का मुद्दा एक बार फिर तूल पकड़ने लग गया है। इसके निषेध में विद्यार्थी भारती संगठन के 40 विद्यार्थियों ने आजाद मैदान में आंदोलन किया। मुथ्रुक्रिशन ने जेएनयू में जातिवाद से तंग आकर 13 मार्च को आत्महत्या कर ली थी। विद्यार्थी भारती संगठन की अध्यक्षा विजेता भोनकर का आरोप है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि शिक्षण संस्थान, सरकार द्वारा किया गया खून है।
यूवर्सिटी में प्रवेश प्रक्रिया में होने वाली जातीयवादी विषमता को जब बाहर निकालने का प्रयास किया गया तो खून कर दिया गया। इस घटना के बाद प्रशासन ने कोई भी जांच नहीं कराई है। जिससे पता चलता है कि प्रशासन कितनी जातीयवादी है। विद्यार्थी भारती की कार्याध्यक्ष स्मिता सालुंखे ने मांग की है कि जेएनयू प्रशासन पर हत्या करने का मामला दर्ज किया जाए।
इस आंदोलन के दौरान विद्यार्थी भारती के सदस्यों ने हाथों पर बैनर्स लिए हुए थे जिसमें लिखा था, आत्महत्या या हत्या, पर जांच होनी चाहिए, एकलव्य रोहित रजनी को दोषी कौन?