100 नंबर पर फोन कर की शिकायत, जान से मारने की धमकी मिली


100 नंबर पर फोन कर की शिकायत, जान से मारने की धमकी मिली
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जिस 100 नंबर को लेकर पुलिस आपातकाल स्थिति में तत्काल सेवा पहुंचाने का दम भरती है उसी 100 नंबर पर फोन करना आपके लिए अब आफत बन सकता है। इस नंबर पर आपाताकाल स्थिति में फोन करने के अलावा किसी के अवैध गतिविधियों में लिप्त होने की भी जानकारी पुलिस को दी जाती है, लेकिन ओशिवारा के रहने वाले प्रशांत और ट्रॉम्बे के रहने वाले शकील शेख को इस 100 नंबर पर फोन कर अवैध कार्यों की शिकायत करना काफी बुरा अनुभव वाला रहा।


पहली घटना ओशिवारा पुलिस स्टेशन की


जोगेश्वरी वेस्ट के बेहराम बाग़ में रहने वाले सामजिक कार्यकर्ता प्रशांत विश्वकर्मा ने कुछ दिन पहले उनके इलाके में चल रहे एक अवैध हुक्का पार्लर के खिलाफ 100 नंबर पर फोन करके शिकायत की थी। तीन बार 100 नंबर पर फोन करने के बाद तब कहीं जाकर मौके पर पुलिस आई लेकिन कुछ कार्रवाई करने के बजाय पुलिस वहां से चाय पानी करके चली गयी। 


पुलिस के जाने के बाद प्रशांत को एक अज्ञात नंबर से फोन आया, उसने प्रशांत को शिकायत न करने की बात कही और मामल सेटल करने का ऑफर दिया। लेकिन प्रशांत द्वारा ऑफर ठुकराए जाने के बाद कॉल करने वाला प्रशांत को जान से मारने की धमकी देने लगा। प्रशांत ने इसकी शिकायत ओशिवारा पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई। यह सारा मामला 21 फरवरी का है।



दूसरी घटना ट्रॉम्बे की 

दूसरी घटना के मुताबिक़ ट्रॉम्बे में रहने वाले शकील शेख 21 फरवरी के दिन अपने छोटे बच्चे के साथ कहीं जा रहे थे। रस्ते में तेज आवाज में डीजे बजाय जा रहा था। जब शकील ने इस बात की शिकायत 100 नंबर फोन पर की तो कुछ ही देर में उनके नंबर पर एक अपरिचित महिला का फोन आया और उसने शकील को धमकाते हुए अंदाज में उसका नाम पूछते हुए उससे शिकायत क्यों कर रहा है पूछा? जब शकील ने उस महिला से पूछा कि वह कौन है और मेरा नंबर कहाँ से मिला तो महिला ने जवाब दिया कि पुलिस के कम्प्यूटर से नंबर मिला है। 


यही नहीं इसके कुछ देर बाद एक और व्यक्ति का फोन आया और उसने शकील को कहा कि वह फ्लिपकार्ट से बात कर रहा है और उसका एक पार्सल देना है इसीलिए वह अपने घर का पता बताए। जब शकील ने कहा कि उसने तो कोई आर्डर नहीं दिया है तब फोन काट दिया गया। इसके बाद शकील ने सारे मामले की शिकायत ट्रॉम्बे पुलिस से की।

क्या है नियम? 

इन दोनों मामलों को देख कर तो यही लगता है कि खुद पुलिस वाले ही कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं साथ ही शिकायतकर्ता की जान भी जोखिम में डालते हैं। इस मामले में नियम के अनुसार शिकायतकर्ता की पहचान हमेशा गुप्त रखी जाती है। 


आपको बता दें कि ठीक इसी तरह के एक मामले में शिकायतकर्ता का नाम उजागर करने पर दो पुलिसकर्मी निलंबित हो चुके हैं बावजूद इसके पुलिस वाले मदद करने के बजाय आरोपियों के साथ देते नजर आते हैं।  

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