बचपन में हम सभी को बालू और मिट्टियों से किले बनाने का शौक रहता है। बालू के साथ साथ रेती और मिट्टी के किले बनाने का भी चलन काफी चलता है। महाराष्ट्र के इतिहास में दिवाली के मौके पर किले बनाने की परंपरा काफी पूरानी है, लिहाजा आज भी मुंबई के साथ साथ शहर के कई हिस्सों में दिवाली के मौके पर बच्चे और युवक किला बनाते है।
किले बनाने के लिए छात्र एक दो महीने पहले से ही प्रशिक्षण लेना शुरु कर देते है। पारंपरिक तरिको के साथ साथ किले बनाने के लिए आधूनिक तरिको का भी सहारा लिया जाता है।
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