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आश्रम की सफलता के बाद प्रकाश झा अब निकल पड़े हैं 'मट्टो की सायकल' की सवारी पर

आश्रम वेब सीरीज में अपने दमदार निर्देशन का परचम लहरा चुके बॉलीवुड (Bollywood) डायरेक्टर प्रकाश झा अब मथुरा के एक गांव की गलियों में जीवन की एक अनोखी दास्तान को बयां कर रहे हैं।

आश्रम की सफलता के बाद प्रकाश झा अब निकल पड़े हैं 'मट्टो की सायकल' की सवारी पर
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आश्रम वेब सीरीज में अपने दमदार निर्देशन का परचम लहरा चुके बॉलीवुड (Bollywood) डायरेक्टर प्रकाश झा अब मथुरा के एक गांव की गलियों में जीवन की एक अनोखी दास्तान को बयां कर रहे हैं। एक ऐसा जीवन जहां सांसे तो चल रही हैं, लेकिन हर पल वह अपनी उलझी जिंदगी से अपने जीने की कीमत मांगती है।

हालात के आगे घुटने न टेकते मट्टो के हौसले बुलंद हैं, जो सायकल की सिसकन के सामने भी चट्टान की तरह खड़े हैं। जहां एक सायकल और एक आम आदमी की खास कहानी है जो आपको जिंदगी और उसे गुज़र बसर करने की जद्दोजहद की याद दिलाएगी।

फ़िल्म मट्टो की साइकल जिसमे पहली बार प्रकाश झा एक टाइटल और दमदार किरदार में दिखाई दे रहे हैं । जो हाल ही में बुसान अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई और पसंद भी की गई ।

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मथुरा निवासी निर्देशक एम गनी ने 92 मिनट की इस पहली फीचर फिल्म में अपने पिता के कहानी को पिरोया हैं। मट्टो बने प्रकाश झा के उम्दा अभिनय पर एम गानी कहते हैं कि "प्रकाश झा ने वास्तव में मट्टो की भूमिका निभाने का अथक प्रयास किया। वे गांव में और मजदूरों के साथ रहे। वह हमारी बेतहाशा अपेक्षाओं के भी परे हैं"।                                                  

मट्टो की साईकिल में काम करने के अपने अनुभव के बारे में प्रकाश झा कहते हैं - "मैं एक आदमी और उसकी साइकिल की इस सरल कहानी में परतें देख सकता था, जहा एक एक्सप्रेसवे का निर्माण किया गया है, लेकिन उस एक्सप्रेसवे के नीचे जीवन एक घोंघे की गति से चलता है। जहाँ खुश रहने के लिए लोग छोटी-छोटी चीज़ें तलाशते हैं - जहाँ उनके जीवन में कोई क्रांति, कोई आंदोलन नहीं है।  मुझे लगा कि यह फिल्म बननी ही चाहिए" ।

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