भले ही मुंबई देश की आर्थिक राजधानी हो फिर भी इस शहर में कुपोषण( Malnutrition in mumbai) के कई मामले पाए जाते है। जिसे रोकने के लिए सरकार कई तरह के कदम उठा रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्री यशोमती ठाकुर( yashomati thakur) ने जानकारी दी कीमुंबई में कुल 71 शहरी बाल विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों का उद्घाटन प्रथम चेंबूर शहरी बाल विकास केंद्र के प्रतिनिधि के रूप में श्रीमती रुबल अग्रवाल, आयुक्त, एकीकृत बाल विकास सेवा योजना द्वारा किया गया।
71 शहरी बाल विकास केंद्र स्थापित किए गए
मुंबई के एम ईस्ट और एम वेस्ट डिवीजनों के तहत चेंबूर, गोवंडी, शिवाजीनगर, मानखुर्द, ट्रॉम्बे और मुलुंड ईस्ट नाम की 6 परियोजनाओं में कुल 71 शहरी बाल विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं। बाल विकास सेवा योजना के अंतर्गत मुंबई में कुल 33 बाल विकास परियोजनाएं कार्यरत हैं। इनमें से 5,130 आंगनबाड़ियां शहरी स्लम क्षेत्रों में संचालित हो रही हैं।
मुंबई के एम ईस्ट और एम वेस्ट वार्ड में कम वजन के बच्चों के इलाज के लिए अगस्त 2021 में गोवंडी के शताब्दी अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र (NRC) शुरू किया गया था। बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों के वजन, ऊंचाई और परिधि की जांच करते हैं, गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों का रिकॉर्ड करते हैं और आहार विशेषज्ञों द्वारा इन बच्चों के माता-पिता का मार्गदर्शन करते हैं।
1100 बच्चों की जांच की गई
समेकित बाल विकास सेवा योजना के तहत अगस्त से दिसंबर 2021 तक कुल 1100 बच्चों की जांच की गई और 373 गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे पाए । मुंबई के एम ईस्ट और एम वेस्ट डिवीजनों के तहत चेंबूर, गोवंडी, शिवाजीनगर, मानखुर्द, ट्रॉम्बे और मुलुंड पूर्व में 6 परियोजनाओं में कुल 71 शहरी बाल विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं। पहले चेंबूर शहरी बाल विकास केंद्र के उद्घाटन के दौरान आयुक्त रुबेल अग्रवाल ने आंगनबाडी क्षेत्र में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के अभिभावकों से बातचीत की।
साथ ही वैज्ञानिक रूप से तैयार ऊर्जा से भरपूर पौष्टिक आहार बच्चों के माता-पिता को उनके वजन बढ़ाने और प्रोन्नति के लिए सौंपा गया।शहरी बाल विकास केंद्र में अति कुपोषित बच्चों को दिन भर रखा जाएगा और उन्हें हर 2 घंटे में एनर्जेटिक पोषाहार दिया जाएगा। उन्हें उनके नियमित भोजन के साथ दिन भर में 92 ग्राम भोजन दिया जाएगा।
अगले 3 माह तक आंगनबाडी सेविका, प्रमुख सेविका द्वारा नियमित रूप से उनकी निगरानी एवं नियंत्रण किया जायेगा। इन बच्चों का वजन सामान्य होने पर उन्हें शहरी बाल विकास केंद्र से रिहा कर दिया जाएगा। साथ ही आवश्यक दवाएं स्वास्थ्य विभाग की ओर से मुहैया कराई जाएंगी।
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