एक समय स्लम इलाके को कोरोना (Coronavirus in slum area mumbai) का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता था, लोगों का यह मानना था कि, अगर स्लम इलाके में कोरोना फैल गया तो फिर इसे रोकना मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ ही बिल्डिंगों में रहने वाले लोग अपने को सुरक्षित मानते थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। कई स्लम इलाके में कोरोना को नियंत्रित कर लिया गया है जबकि अब बिल्डिंग यानी पॉश इलाकों से कोरोना वायरस (Coronavirus) के अधिक केस सामने आ रहे हैं।
BMC (बृहन्मुंबई महानगर पालिका) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पॉश इलाको से COVID-19 मामलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार इस तरह के इलाकों में एक महीने में 108% की वृद्धि हुई है। जबकि स्लम इलाकों में केस के मामलों में 60% की वृद्धि दर्ज की गई है।
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BMC के अधिकारियों के मुताबिक, कई हाउसिंग सोसायटी कोरोना के शरुआती दिनों में लॉकडाउन (lockdown)हो गईं थीं, लोग घरों से बाहर नहीं निकलते थे। साथ ही घरों में काम करने वाली मेड को भी रोक दिया गया था। इसी के कारण वहां कोरोना नहीं फैल पाया।
लेकिन कुछ समय बाद बिल्डिंग के निवासी घरों से निकलने लगे, चाहें जरूरत के सामान खरीदना हो या घूमना फिरना हो, ये लोग लापरवाही करने लगे। लॉकडाउन में ढील देने के बाद बाहर निकलने वालों की संख्या और भी बढ़ गई।
बीएमसी के आंकड़ों से पता चलता है कि 9 जून कंटेन्मेंट जोन (Contentment zone) में आने वाली कुल 4538 के रिहायशी इमारतों में रहने वाले करीब 8.03 लाख लोगों को लॉकडाउन कर दिया गया। जबकि हाल ही में प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि अब सील की गई इमारतों की संख्या बढ़कर 6235 हो गई है। और लॉकडाउन होने वाले नागरिकों की भी संख्या बढ़कर 9.33 लाख हो गई है। इनमें से कुल 20,735 लोग COVID-19 के शिकार हो चुके हैं। चौकाने वाली बात यह है कि इन इमारतों से एक मात्र एक महीने में ही 10,779 मामले सामने आए हैं।
BMC के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,'जहाँ से अधिक मामले सामने आ रहे थे उन झुग्गी-झोपड़ियों पर अधिक ध्यान देने के बाद, हम कोरोना के प्रसार को नियंत्रित करने में सफल रहे हैं। हालांकि, हाई-सोसायटी के निवासियों के अनलॉक होने के कारण, वहाँ से अधिक मामले सामने आ रहे हैं।'
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