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टीकाकरण के लिए तैयार महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में तैयारियां युद्धस्तर पर कर ली गई हैं, अब सभी की निगाहें 16 जनवरी की ओर लगी हुई हैं और 16 जनवरी से शुरु होने वाले टीकाकरण की सफलता पर ही आगे का रास्ता तय होगा।

टीकाकरण के लिए तैयार महाराष्ट्र
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विश्व को परेशान करने वाली कोरोना महामारी (corona pandemic) के लिए खिलाफ जारी जंग को स्थायी रूप से विराम देने की मुहिम के रूप में पूरे भारत में आगामी 16 जनवरी से शुरु होने वाले टीकाकरण (vaccination) अभियान की महाराष्ट्र (maharashtra) में जोरदार तैयारियां की जा रही हैं। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (financial capital mumbai) समेत महाराष्ट्र में आने वाले सभी टीकाकरण केंद्रों पर वैक्सीन पहुंच गई है। सीरम इस्टीट्यूट (serom institute) पुणे से कोविशिल्ड (covishield) नामक वैक्सीन की पहली खेप 12 जनवरी को मुंबई पहुंच गई। इस पहली खेप में महाराष्ट्र राज्य के लिए 9 लाख, 63 हजार डोज प्राप्त होने की जानकारी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने दी है। महाराष्ट्र में अब कोविड पोर्टल पर 7 लाख, 84 हजार से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों का टीकाकरण के लिए पंजीयन किया गया है। वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए महाराष्ट्र राज्य में 3135 शीतगृह केंद्रों का निर्माण किया गया है।   

पुणे के 'सीरम' इंस्टीट्यूट के लिए देश के अलग-अलग क्षेत्रों में टीकाकरण के लिए पहले चरण में चिन्हित किए गए स्थानों के लिए वैक्सीन को भेज भी दिया गया। पहले चरण में एयर इंडिया (air india), स्पाइसजेट (spicejet), गोएयर (Goair) तथा इंडिगो (indigo) इन कंपनियों के विमान से देश के 13 शहरों में टीके भेजे गए। वैक्सीन से भरे कंटेनर कड़ी पोलिस सुरक्षा व्यवस्था तथा गणपति बाप्पा मोरया के जयकारे के बीच देश के अलग-अलग शहरों में भेजे गए। सीरम इन्स्टिट्यूट से 'कोव्हिशील्ड' वैक्सीन के तीन कंटेनरों के पुणे से रवाना होने से पहले बाहेर नारियल फोड़कर उक्त कंटेनरों की पूजा की गई। 

पुणे परिमंडल पांच की पुलिस उपायुक्त नम्रता पाटिल की मुख्य उपस्थिति में  फुल, माला अर्पित करके कंटेनरों की पूजा की गई। पूजा के दौरान वहां उपस्थित लोगों ने 'गणपति बाप्पा मोरया'  के जयकारे भी लगाए। कोविशील्ड' वैक्सीन के कंटेनर जैसे-जैसे देश के अलग-अलग हवाई अड्डों परक पहुंचे वहां रिसीव करके उन्हें निश्चित स्थानों पर भेजने की प्रक्रिया भी तुरंत शुरु कर दी गई। पुणे हवाई अड्डा प्रशासन की ओर से इस संदर्भ में विडियो ट्विटर पर आवश्यक निर्देश भी जारी किए थे। पुणे से कोविशिल्ड वैक्सीन देश के 13 शहरों में भेजे गए। इन शहरों में औरंगाबाद (महाराष्ट्र), अहमदाबाद (गुजरात), दिल्ली,  चेन्नई,  बेंगलुरु, कोलकाता, कर्नाल, विजयवाडा, हैदराबाद, लखनऊ, चंडीगढ़, भुवनेश्वर, गुवाहाटी का समावेश है।

 केंद्र सरकार की ओर से सीरम की 'कोविशील्ड' तथा भारत बायोटेक (bharat biotech) के 'कोवैक्सीन' (covaxine) इन दो वैक्सीनों को आपत्कालीन उपयोग के लिए मान्यता दी है। इन वैक्सीनों को विदेश में भी भेजने का विचार केंद्र  सरकार की ओर से किया जा रहा है। टीके के निर्यात की अनुमति मिलने की अभी कुछ दिन और प्रतीक्षा करनी होगी। राज्य की महाविकास अघाडी के आदेश पर पुणे शहर तथा जिले में भी टीकाकरण की तैयारियां बड़े जोरशोर से की जा रही है। जिले में कुल 55 स्थानों पर टीकाकरण केंद्रों का निर्माण जा रहा गया है।  पुणे जिले में 95 हजार लोगों का टीकाकरण के लिए पंजीयन किया गया है। पुणे जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 23 , पुणे महानगरपालिका परिसर में 16 तथा पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका परिसर में भी 16 संभित केंद्र तय किए गए हैं।

 पुणे के ग्रामीण क्षेत्रों से कुल 43356 स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोरोना का टीका लगाया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीन लगाने के लिए 944 कर्मचारियों को काम पर लगाया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए 91, 230 डोज की आवश्यकता है। टीकाकरण के तहत दो डोज देना जरूरी है, पहली डोज और दूसरी डोज के बीच 28 दिन का अंतर होना जरूरी है। सरकारी सूचना के अनुसार पहले चरण में शहरों से साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को वैक्सीन (टीका) दी जाएगी, जबकि दूसरे चऱण में बीमार तथा वरिष्ठ नागरिकों को प्रधानता दी जाएगी। 

हर केंद्र पर 100 लोगों टीकाकरण किया जाएगा। जनसंख्या के आधार पर टीका लगाने के लिए उपलब्ध कर्मचारियों की संख्या को देखते हुए पुणे जिले में टीकाकरण का काम पूरा होने में 90 से 100 दिन लगने की आशंका जिला प्रशासन की ओर से व्यक्त की गई है।  पुणे, पिंपरी-चिंचवड तथा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 1.10 लाख स्वास्थ्य कर्मचारी कार्यरत हैं। तीनों स्थानों पर पुणे के एक ही केंद्र से वैक्सीन वितरित किए जाने की जानकारी सामने आई है, इसके लिए पुणे शहर में वैक्सीन के भंडारण के लिए डीप फ्रीजर की सुविधा उपलब्ध करायी गई है। पुणे में गुरुवार तक कोरोना से निजात पाने की वैक्सीन उपलब्ध होने की उम्मीद अधिकारियों की ओर से जतायी गई है।

करोना प्रतिबंधक टीकाकरण प्रारंभ होने में अभी तीन दिन शेष हैं, फिर भी वैक्सीन की आपूर्ति और वितरण के बारे में कोई नियोजन नहीं किए जाने के कारण निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों ने महानगरपालिका से पूछताछ करना शुरु कर दिया है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग की ओर से ही  वैक्सीन के वितरण के संदर्भ में ठोस जानकारी न मिलने के कारण निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों को क्या उत्तर दिया जाए, ऐसी समस्या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के समक्ष आन पड़ी है।  वर्ष 2020 में आई कोरोना महामारी की छाया में शुरु हुआ नया साल 2021 कोरोना महामारी से बचाव की दृष्टि से बहुत अच्छी खबर के साथ शुरू हुआ।  कोविड-19 को दूर भगाने के लिए बनाये गए कोविशील्ड वैक्सीन  देशवासियों को लगाने की  तैयारियां बहुत जोर-शोर से की जा रही है। 

देशभर में कोरोना टीकाकरण अभियान शुरु करने से पहले सशी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में चुनिंदा स्थानों पर टीकाकरण का ड्राई रन (vaccination dry run) किया जाएगा। टीकाकरण का नियोजन तथा उस पर अमल करने में कमजोर कड़ी कौन-कौन सी है, उसे दूर करने तथा तथा टीकाकरण प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए इस तरह का प्रकार प्रयोग  करना बहुत उपयुक्त साबित होता है। भारत जैसे देश के सामने तो टीकाकरण की चुनौती तो और भी ज्यादा मुश्किल है। भारत की 130 करोड़ से अधिक जनसंख्या की तुलना में कम पड़ती स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण भारत में टीकाकरण का सार्वजनिक कार्यक्रम संचालित करना आसान काम नहीं है। विशाल तथा मुश्किल इस मुहिम को सफलतापूर्वक संचालित सरकार, स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन तथा मनपा प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। राज्य में पुणे, नागपुर, जालना तथा नंदूरबार इन चार जिलों में गत दिनों ड्राई रन किया गया था। 

कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए वैक्सीन आने के बाद सब कुछ समाप्त हो गया ऐसा नहीं है। वैक्सीन लगने के बाद भी मॉस्क, सैनेटाइजर तथा दो गज की दूरी जैसे नियमों का पालन करना भी जरूरी है। यहां यह भी बताना जरुरी है कि वैक्सीन की आपूर्ति तथा भंडारण,  उसे रखने की व्यवस्था, उसेक लिए आवश्यक शीतगृहों के साथ-साथ प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में उसे ले जाने की व्यवस्था करने जैसी बातें कहने में जितनी आसान लगती हैं, उतना उसे वास्तविक रूप से अमल में लाना आसान नहीं होता। माना की वैक्सीन को देश के 13 शहरों में हवाई जहाज के माध्यम से पहुंचा दिया गया है, लेकिन उसे कोरोना टीकाकरम केंद्र तक पहुंचाना भी आसान काम नहीं है। 

केंद्र सरकार ने इस बात पर पहले से ही विचार कर लिया था और इसीलिए वैक्सीन के वैक्सीन के भंडारण से लेकर उसे लगाने तक एक आदर्श कार्य प्रणाली विकसित की गई है। कागज पर तैयार की गई प्रणाली को प्रत्यक्ष रूप से अमल में लाते वक्त अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इस वजह से प्रत्यक्ष रूप से टीकाकरण से पहले तैयारी करना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। वैक्सीन बनने से लेकर उसके सामान्य लोगों को देने तक के सभी चरणों को नियोजनबद्ध तरीके से किया जा सकात है, लेकिन वैक्सीन आ गई, इससे सब कुछ समाप्त हो गया, यह समझना सर्वथा गलत होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सभी लोग जब इस बारे मे आह्वान कर रहे हैं तो फिर मॉस्क, सुरक्षित अंतर, स्वच्छता तथा सैनिटायजर का उपयोग करने जैसी बातों पर ध्यान देना वैक्सीन लगने के बाद भी जारी रखना होगा।  

कोरोना लेकर आया वर्ष 2020 सभी के लिए परेशानी लेकर आया था। वर्ष 2020 समाप्त होने के बाद आए 2021 में हालांकि वैक्सीन आ गई है, लेकिन अभी टीकाकरण शुरु न होने की वजह से कोरोना का कहर अभी भी जारी है। 2021, 2020 के मुकाबले पूरी तरह से अलग होगा, इसमें किसी को कोई शंका नहीं है। दिसंबर में कोरोना के मरीज की कम होती संख्या, वस्तु तथा सेवा कर (जीएसटी) में हुई बेतहाशा वृद्धि आदि बातें उम्मीद बढाने वाली हैं।  लेकिन अब परिस्थिति पूर्व स्थिति में आ रही है, ऐसा बताकर लापरवाही बरतना ठीक नहीं है।कोरोना के विषाणु में हो रहे बदलाव और उसके बारे में विशेषज्ञों की ओर से दिए जा रहे दिशा-निर्देशों के देखते हुए सावधानी बरतना जरूरी है, तभी  टीकाकरण की सार्थकता सामने आएगी। 

वैक्सीन का आगमन हो गया है, अब वैक्सीन को सफलतापूर्वक लगाना एक बहुत बड़ी चुनौती है और इस चुनौती को पूरा करने के लिए महाराष्ट्र में तैयारियां युद्धस्तर पर कर ली गई हैं, अब सभी की निगाहें 16 जनवरी की ओर लगी हुई हैं और 16 जनवरी से शुरु होने वाले टीकाकरण की सफलता पर ही आगे का रास्ता तय होगा।

Note: लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, यह लेखक के अपने विचार हैं।

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