कोरोना वायरस महामारी के दौरान ही देश भर के अस्पतालों को रक्त की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र राज्य रक्त आधान परिषद (SBTC) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, केईएम और सायन अस्पताल में वर्तमान में मात्र 100 यूनिट ही रक्त बचा हुआ है। हालांकि, यह मई के महीने में अपने सामान्य स्टॉक का एक तिहाई और एक-छठा भाग है।
अस्पताल से जुड़े सूत्रों ने बताह कि अस्पतालों में खून की कमी अब तेज गति से हो रही है। अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक एक तो लॉकडाउन और अगर अस्पताल में कोई सर्जिकल ऑपरेशन होता है तो रक्त को लेकर हमारी चिंता और भी बढ़ जाती है।
एसबीटीसी के आंकड़े बताते हैं कि कूपर अस्पताल, जीटी अस्पताल, होली फैमिली अस्पताल, भाभा अस्पताल, राजावाड़ी अस्पताल और आशीर्वाद ब्लड बैंक, सुशीलाबेन ब्लड बैंक, एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट, मसिना अस्पताल, संत निरंकारी ब्लड बैंक में मात्र 10 से कम ब्लड यूनिट ही बचा है।
हालांकि अच्छी बात यह है कि, SBTC की तरफ से कई मंडल, धार्मिक संगठन, NSS इकाइयाँ, हाउसिंग सोसाइटीज में रक्त दान शिविर का आयोजन किया जा रहा है।
इन रक्त सैम्पल में ब्लड ग्रुप A निगेटिव, B निगेटिव, AB निगेटिव और O निगेटिव काफी कम मात्रा में मिल रहे हैं जबकि A पॉजिटिव ब्लड ग्रुप की केवल 883 इकाइयां हैं जो कि सबसे आम ब्लड ग्रुप है, और B पॉजिटिव की 600 यूनिट्स हैं।
कई संगठनों के साथ साथ सरकार भी लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रोत्साहित करती है। डॉक्टरों का भी कहना है कि, नियमित रक्तदान के कई लाभ हैं। यह दिल का दौरा पड़ने से रोकता है, रक्तचाप को नियंत्रित करता है, साथ ही रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो जाता है और इससे मोटापा भी घटता है।
आमतौर पर, अप्रैल के महीने में, रक्त इकट्ठा करने के लिए मुंबई के बांद्रा में एक प्रमुख शिविर आयोजित किया जाता है। हालांकि, इस वर्ष लॉकडाउन के परिणामस्वरूप इसे शुरू नहीं किया गया था। प्लेटलेट्स का मौजूदा स्टॉक मुंबई में 400 यूनिट से कम है। मॉनसून के दौरान शहर में हर दिन 800 से 900 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है।