नायर अस्पताल के ENT विभाग में कान के रोग से पीड़ित मरीज बड़ी संख्या में आते हैं। नायर अस्पताल के प्रयासों से 44 बच्चे जो किसी कारण से बधिर थे, उनकी सुनने की क्षमता वापस आ गई। इसको लेकर 44 बच्चों व उनके अभिभावकों ने खुशी जाहिर की।
नायर अस्पताल के ENT विभाग को सुनने की समस्या वाले कई मरीज मिले हैं और इनमें से ज्यादातर बच्चे हैं। कुछ बच्चे पैदाइशी श्रवण बाधित होते हैं। इनमें से कुछ कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी से गुजरते हैं, जबकि अन्य को श्रवण यंत्र प्रदान किए जाते हैं। नायर अस्पताल ने हाल ही में 44 बच्चों को उनकी सुनने की क्षमता वापस लाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन 44 बच्चों में से कुछ बधिरता के कारण बोल नहीं पा रहे थे, बच्चों की जांच की गई और कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की गई। कुछ बच्चों को श्रवण यंत्र दिए गए।
इससे बच्चे व उनके अभिभावक खुश नजर आए। ये बच्चे अब बड़े चाव से गाने सुनने के साथ-साथ गाने भी लगे हैं। कॉक्लियर इम्प्लांट वाले बच्चों को इस तकनीक में हुई प्रगति के बारे में कॉक्लियर कंपनी के प्रतिनिधियों द्वारा इम्प्लांट की देखभाल और रखरखाव के बारे में जानकारी दी गई। ईएनटी विभाग के प्रमुख डॉ. बच्ची हाथीराम और डॉ. विक्की खट्टर और समाज सेवा विभाग के अधिकारियों ने इन बच्चों का मार्गदर्शन किया।
नायर अस्पताल के ईएनटी विभाग में कान के रोग से पीड़ित मरीज बड़ी संख्या में आते हैं। नायर अस्पताल के प्रयासों से 44 बच्चे जो किसी कारण से बधिर थे, उनकी सुनने की क्षमता वापस आ गई। इसको लेकर 44 बच्चों व उनके अभिभावकों ने खुशी जाहिर की।
नायर अस्पताल के ईएनटी विभाग को सुनने की समस्या वाले कई मरीज मिले हैं और इनमें से ज्यादातर बच्चे हैं। कुछ बच्चे पैदाइशी श्रवण बाधित होते हैं। इनमें से कुछ कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी से गुजरते हैं, जबकि अन्य को श्रवण यंत्र प्रदान किए जाते हैं। नायर अस्पताल ने हाल ही में 44 बच्चों को उनकी सुनने की क्षमता वापस लाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन 44 बच्चों में से कुछ बधिरता के कारण बोल नहीं पा रहे थे, बच्चों की जांच की गई और कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की गई। कुछ बच्चों को श्रवण यंत्र दिए गए।
इससे बच्चे व उनके अभिभावक खुश नजर आए। ये बच्चे अब बड़े चाव से गाने सुनने के साथ-साथ गाने भी लगे हैं। कॉक्लियर इम्प्लांट वाले बच्चों को इस तकनीक में हुई प्रगति के बारे में कॉक्लियर कंपनी के प्रतिनिधियों द्वारा इम्प्लांट की देखभाल और रखरखाव के बारे में जानकारी दी गई। ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. बच्ची हाथीराम व डॉ. विक्की खट्टर व समाज सेवा विभाग के अधिकारियों ने इन बच्चों का मार्गदर्शन किया।
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