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‘मुन्नाभाई’ अब नहीं कर पाएंगे डॉक्टरी


‘मुन्नाभाई’ अब नहीं कर पाएंगे डॉक्टरी
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घर बैठ कर फार्मासिस्ट बने, बिना कॉलेज जाए, मात्र तीन से साढ़े तीन लाख रूपये में....यह कोई विज्ञापन नहीं बल्कि असली जिन्दगी में चल रहा एक तरह का गोरख धंधा है। मोटी रकम लेकर उच्च डिग्री देने वाले दलालों का नेटवर्क मुंबई सहित पूरे देश भर में फैला हुआ है। इन पर रोक लगाने के लिए अब फार्मेसी कौंसिल ऑफ़ इंडिया(पीसीआई) अब कड़े कदम उठाने जा रही है। महाराष्ट्र फार्मेसी कौन्सिल के अध्यक्ष विजय पाटील ने मुंबई लाइव को जानकारी देते हुए बताया कि अब फार्मासिस्ट में पंजीकरण के लिए पीसीआई द्वारा आयोजित की जाने वाली राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में सम्मिलित होना अनिवार्य होगा। इस सम्बन्ध में जल्द ही एक प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा जायेगा।

महाराष्ट्र में फार्मासिस्ट के रूप में काम करने के लिए महाराष्ट्र फार्मेसी कौंसिल के पास पंजीकृत होना अनिवार्य है । पंजीकृत होने के बाद ही फार्मासिस्ट और अन्य फार्मेसी कम्पनियों में काम कर सकते हैं। जो छात्र जिस राज्य में काम करना चाहता है उसे उस राज्य के फार्मेसी कौंसिल में अपना पंजीयन कराना अनिवार्य है।

फार्मेसी क्षेत्र में बढ़ते हुए अवसर को देखते हुए हर साल कई छात्र इम्तेहान देते हैं लेकिन कई तैयारी के अभाव में फेल हो जाते हैं। इसी का फायदा उठाते हैं दलाल। छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में कई लोग बोगस फार्मासिस्ट सर्टीफिकेट दिखाकर अपना पंजीयन कराकर काम कर रहे हैं और लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसी कई खबरें मिलने के बाद महाराष्ट्र फार्मेसी कौंसिल ने नियम बना कर छात्रों के पंजीकृत के लिए परीक्षा को अनिवार्य किया था लेकिन इसका विरोध होने पर इसे बंद कर दिया गया।

लेकिन इस तरह के मामले की गंभीरता को देखते हुए पीसीआई की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि बोगस फार्मासिस्ट पर रोक लगाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा आयोजित कराई जायेगी। इस निर्णय का महाराष्ट्र रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने भी स्वागत किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश तांदले अब फार्मेसी में हो रहे इस गोरखधंधे पर रोक लगने की आशा व्यक्त की है।

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