मुंबई - एक स्टिंग ऑपरेशन में मुंबई लाइव ने राज्य सरकार के आवास प्राधिकरण में रियल इस्टेट एजेंट और भ्रष्ट अधिकारियों के बीच के गंदे गठजोड़ को उजागर किया है। एक ऑडियो क्लिप में, एक इस्टेट एजेंट का कहना है कि आप अपने आवंटित फ्लैट की चाबी प्राप्त करना चाहते हैं, तो 1 लाख रुपए खर्च करने के लिए तैयार हहो। उन्होंने आगे कहा कि रिश्वत का भुगतान करने पर, सब कुछ आसान हो जाता है।
अगली आवाज- "क्या मैं जान सकता आप कहां काम करते हो?"
एजेंट का जवाब है, "श्रीनाथ एस्टेट रियलिटीज।"
मिल मजदूर अपने हक के घर के लिए सरकार के साथ 25 साल की लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं। पुनर्वास योजना के तहत जब उनके लिए घर मिलने की बारी आई तो रियल इस्टेट एजेंट, भ्रष्ट अधिकारियों और राजनीतिक कनेक्शन ने मिल मजदूरों के फ्लैटों को हथियाना शुरू कर दिया है।
भावी फ्लैट मालिक आगे पूछता है, "क्या राठौड़ सर ने 2 लाख रुपये दिए?"
इस्टेट एजेंट का जवाब, "सर सीधे आप पैसे के लिए नहीं पूछ सकते।
"वह फ्लैट की चाबी देने के समय पैसे लेता है?"
एजेंट "हाँ,"
इन एजेंटों की अगली योजना इन आवंटित फ्लैटों के लिए संभावित खरीदारों के लिए खोज करना है। सभी विवरण एमएचएडीए कार्यालय से मांग रहे हैं और चुने गए लाभार्थियों को प्रस्ताव दिया जाता है। वे दस्तावेज देने के समय में आधी कीमत दी जाती है और चाबी सौंपने के बाद शेष।
मिल मजदूरों के लिए दलाल पद्धति ये ऑफर दे रहा है...
घर के लिए भरी जाने वाली रकम - 9.5 लाख
खरीदी व्यवहार की स्टॉम्प ड्यूटी - 1 लाख
म्हाडा की तरफ से जल्दी काम करने के लिए - 2 लाख
कार्यालय और यात्रा खर्च - 50 हजार
घर के मालिक को घर बेचने का ऑफर - 18 लाख
मिल मजदूरों के के साथ इतनी बड़ी धोखाधड़ी हो रही है। जिसमें इस्टेट एजेंट से लेकर म्हाडा के अधिकारी तक शामिल हैं। हर एक चीज का रेट तय हैै। बावजूद इसके सरकार अबतक ऐसे हाई प्रोफाइल मामले से अनजान कैसे है?