बुधवार 23 मार्च को महाराष्ट्र विधानसभा ने स्टांप शुल्क भुगतान के लिए सेट-ऑफ अवधि को 3 साल तक बढ़ाने वाला विधेयक पारित किया। इस विधेयक के पारीत होने के बाद प्रत्येक नई संपत्ति पुनर्विक्रय के लिए स्टाम्प शुल्क भुगतान के लिए सेट-ऑफ अवधि को एक वर्ष से बढ़ाकर तीन वर्ष कर दिया। अब स्टैंप ड्यूटी सिर्फ प्रॉपर्टी की कीमत के अंतर पर ही देय होगी। इससे पहले, यह तीन साल की अवधि के लिए पूरी राशि पर था।
पहले ये समय खरीद के एक साल के भीतर बेचे गए फ्लैटों को दिया जाता था। बुधवार को पारित विधेयक के अनुसार, एक वर्ष की अवधि में फ्लैटों की बिक्री के मामले नगण्य थे। गतिशील अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ महामारी के बाद की स्थिति के कारण, यह व्यवसाय को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है।
यदि अर्जित की जाने वाली रियायत को तीन साल तक बढ़ाया जाता है, तो इस तरह का लाभ काफी संख्या में निवेशकों को मिलेगा।इस प्रस्ताव से निवेश की संख्या को इजाफा मिलेगा और बिक्री-खरीद सौदों को बढ़ावा देगा। इससे राज्य को लाभ होने का अनुमान है क्योंकि इससे राज्य को काफी मात्रा में राजस्व प्राप्त होता है और िसके साथ ही महाराष्ट्र में रोजगार में रजगार के नए ्वसर भी पैदा करेगा।
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