कई कड़े कदम उठाने का 'महारेरा' का दावा फुस्स हो गया. महारेरा में रजिस्ट्रेशन के लिए आई हुई योजानाओ में से मात्र कुछ लाख रूपये ही जुर्माने के रूप में वसूल किये गये। महारेरा में बिल्डरों को अपना प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड कराने की अन्तिम तारीख 31 जुलाई थी। बावजूद इसके कई बिल्डरों ने ऐसा नहीं किया। इसके पहले महारेरा ने अपने प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड नहीं कराने पर बिल्डरों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की बात कही थी लेकिन ऐसा होता कही नहीं दिख रहा।
महारेरा का 'आशीर्वाद'
महारेरा के एक सूत्र ने बताया कि 1 और 2 अगस्त को जिन बिल्डरों ने अपने प्रोजेक्ट को रजिस्टर्ड कराया उन सभी से फाइन के रूप में कुल मिलाकर मात्र 50 हजार रुपए ही वसूले गए। यही नहीं 3 अगस्त के बाद रजिस्ट्रेशन के लिए आए हुए बिल्डरों से प्रोजेक्ट का 10 फीसदी वसूलने की जगह मात्र 1 लाख रुपए का फाइन लगा कर बिल्डरों को राहत दी।
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'महारेरा' कानून के अनुसार जिन प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा उन्हें अवैध मानते हुए उन बिल्डरों को घर बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके पहले 1 मई 2017 तक ओसी नहीं मिलने के कारण योजनाओं के रजिस्ट्रेशन की तिथि 31 जुलाई तक बढ़ा दी गई थी। राज्य में चल रहे लगभग 30 हजार योजनाओं में से करीब 11 योजनाओं का ही अब तक रजिस्ट्रेशन हुआ है। 'महारेरा' कानून के अनुसार अगर जिस बिल्डर ने अपनी योजना का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तो योजना की कुल लागत का 10 फीसदी फाइन लगेगा, लेकिन जिस तरह से बिल्डरों को फाइन में छुट दी जा रही है उससे 'महारेरा' पर सवाल उठ रहे हैं।
मात्र डेढ़ लाख आया जुर्माना
'महारेरा' पर सवाल इसीलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि 1और 2 अगस्त को रजिस्ट्रेशन के लिए 480 आवेदन आये थे लेकिन जुर्माने के रूप में इनसे मात्र 50 हजार की राशि ही वसूल की गई जो कि काफी कम है। जबकि अगले दिन यानी 3 अगस्त को 'महारेरा' के अध्यक्ष गौतम चटर्जी की उपस्थिति में जो बैठक समाप्त हुई उसमें मात्र 1 लाख रुपए ही जुर्माने के रूप में वसूल किए गए। अगर हिसाब करें तो इन तीन दिनों में मात्र डेढ़ लाख रूपये ही जुर्माने के रूप में मिले, तो क्या यह माना जाए कि आवेदन के लिए जो 480 आवेदन आये थे उनके कोस्ट बेहद मामूली हैं?
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16 अगस्त तक की छुट
गुरूवार को हुई बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार 3 अगस्त के बाद बिल्डर से जुर्माने के रूप में 1 लाख रूपए वसूले जाएंगे। अब 16 अगस्त तक जो बिल्डर अपनी योजना का रजिस्ट्रेशन कराएंगे उनको छुट देते हुए महारेरा उनसे मात्र एक लाख रूपये ही वसूल करेगी। अब योजनाओं के कुल लागत का कितने फीसदी वसूला जाए इसका निर्णय बाद में लिया जाएगा।ऐसा इसीलिए भी किया जा रहा है क्योंकि कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद अधिक से अधिक बिल्डर महारेरा में अपने प्रोजेक्ट को दर्ज करा सकेंगे। हालांकि यह दीगर बात है कि महारेरा के इस कदम की कुछ लोगो ने आलोचना भी करना शुरू कर दिया है।
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