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बलिप्रतिपदा का महत्व


बलिप्रतिपदा का महत्व
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मुंबई - कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा, बलिप्रतिपदा के रूप में मनाई जाती है। जब भगवान श्री विष्णु ने वामनदेव का अवतार लेकर बलि को पाताल में भेजते समय वर मांगने के लिए कहा। उस समय बलि ने वर्ष में तीन दिन पृथ्वी पर बलिराज्य होने का वर मांगा। वे तीन दिन हैं- नरक चतुर्दशी, दीपावली की अमावस्या और बलि प्रतिपदा। बलि प्रतिपदा के दिन प्रातः अभ्यंग स्नान के उपरांत सुहागिनें अपने पति की आरती उतारती हैं। दोपहर को भोजन में विविध पकवान बनाए जाते हैं। कुछ लोग इस दिन बलिराजा की पत्नी विंध्यावलि सहित प्रतिमा बना कर उनका पूजन करते हैं। इसके लिए गद्दी पर चावल से बलि की प्रतिमा बनाते हैं। इस पूजा का उद्देश्य है कि बलिराजा वर्षभर अपनी शक्ति से पृथ्वी के जीवों को कष्ट न पहुंचाएं तथा अन्य अनिष्ट शक्तियों को शांत रखें। कुछ जगहों पर इस दिन रात्रि में लोग खेल, गायन इत्यादि कार्यक्रम कर जागरण करते हैं। इस बार 31 अक्टूबर को बलिप्रतिपदा का मुहूर्त है।

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