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देवेंद्र फडणवीस की बढ़ सकती है मुश्किल, जलयुक्त शिवार योजना की एसीबी से जांच कराने की सिफारिश

सूत्रों द्वारा पता चला है कि, फडणवीस की महत्वकांक्षी परियोजना जलयुक्त शिवार योजना की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा जांच कराने की सिफारिश की गई है।

देवेंद्र फडणवीस की बढ़ सकती है मुश्किल, जलयुक्त शिवार योजना की एसीबी से जांच कराने की सिफारिश
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महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) की मुसीबत में फंस सकते हैं। सूत्रों द्वारा पता चला है कि, फडणवीस की महत्वकांक्षी परियोजना जलयुक्त शिवार योजना की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा जांच कराने की सिफारिश की गई है। अगर इस सिफारिश को मंजूरी मिल जाती है तो यह फडणवीस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

मराठी न्यूज़ चैनल एबीपी माझा के मुताबिक, फडणवीस सरकार के दौरान जलयुक्त शिवार (jal yukt shivar yojna) योजना के खिलाफ बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज की गई थीं। इस काम के लिए जुटे फंड को लेकर भी कैग (cag) ने आपत्ति जताई थी।

इन सभी शिकायतों को मद्देनजर रखते हुए सनद अधिकारी विजय कुमार की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की गई थी। कमेटी ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में एसीबी के माध्यम से जलयुक्त शिवर योजना के काम की जांच कराने की सिफारिश की गई है।

बता दें कि जलयुक्त शिवार देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की एक बड़ी महत्वाकांक्षी योजना थी। यह योजना 2015 में शुरू की गई थी। इस योजना पर करीब 9,633 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद अपेक्षित जल स्तर नहीं बढ़ा है। इसे लेकर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी तीसरे पक्ष द्वारा इसका मूल्यांकन नहीं किया गया था और योजना की कमी के कारण गांवों को ज्यादा फायदा नहीं हुआ था।

उसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) की अध्यक्षता में 14 अक्टूबर को हुई कैबिनेट की बैठक में योजना के तहत किए गए कार्यों की खुलेआम जांच करने का निर्णय लिया गया। सेवानिवृत अपर मुख्य सचिव विजय कुमार की अध्यक्षता में समिति गठित होने के बाद समिति को यह पता लगाने का काम सौंपा गया कि किस काम की खुलेआम जांच होनी चाहिए। समिति में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, रिश्वत रोकथाम विभाग, संजय बेलसारे, मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग, और निदेशक, मृदा संरक्षण और वाटरशेड प्रबंधन (पुणे) भी शामिल थे।

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